मै भाभी का दीवाना हो गया
Antarvasna, kamukta: सुबह के वक्त मैं सोकर उठा मैं जब सो कर उठा तो उस वक्त सुबह के 6:00 बज रहे थे मैंने सोचा कि क्यों ना मैं अपने घर के बाहर टहलने चला जाऊं वैसे तो मैं कभी भी टहलने के लिए नहीं जाता था लेकिन उस दिन मैं अपने घर के बाहर ही टहलने के लिए चला गया। मैं घर से बाहर निकला तो मैं अपने घर से काफी आगे तक जा चुका था मैंने अपनी वॉच पर समय देखा तो उस वक्त 6:30 बज रहे थे मैंने सोचा कि अब मुझे घर वापस लौटना चाहिए और मैं घर वापस लौट आया। मैं जब घर वापस लौटा तो मेरी पत्नी मेघा मेरा इंतजार कर रही थी मेघा ने मुझसे कहा कि गौरव आप सुबह सुबह कहां चले गए थे तो मैंने मेघा से कहा बस ऐसे ही आज मैं टहलने के लिए चला गया था। मेघा मुझे कहने लगी कि लेकिन आप तो कभी भी टहलने के लिए नहीं जाया करते हैं मैंने उससे कहा कि बस ऐसे ही आज मेरा मन था तो मैं चला गया। वह मुझे कहने लगी कि मैंने अखबार टेबल पर रख दिया है मैंने मेघा से कहा ठीक है मैं अखबार पढ़ लेता हूं और मैं अखबार पढ़ने लगा।
मैं जब अखबार पढ़ रहा था तो मेघा मुझे कहने लगी कि मैंने आपके लिए चाय बना देती हूँ मैंने मेघा से कहा लेकिन मेरा मन अभी चाय पीने का नहीं था पर मेघा मेरे लिए चाय बना चुकी थी इसलिए मुझे चाय पीनी पड़ी। मैंने चाय पी और उसके बाद मैं बाथरूम में नहाने के लिए चला गया मैं जब बाथरूम से नहाकर बाहर निकला तो मैं अपने ऑफिस के लिए तैयार होने लगा, मैं अपने ऑफिस जाने के लिए तैयार हो चुका था मेघा भी बच्चों को तैयार कर रही थी। मेघा ने मुझे कहा कि आप अपने ऑफिस जाते वक्त बच्चों को भी स्कूल तक छोड़ दीजिएगा मैंने मेघा से कहा ठीक है मैं बच्चों को स्कूल तक छोड़ दूंगा। मैंने मेघा को कहा लेकिन आज बच्चे स्कूल काफी देर से जा रहे हैं तो वह कहने लगी कि आज बच्चों के स्कूल में कोई प्रोग्राम है इसलिए उन लोगों की स्कूल आज देर में ही थी मैंने मेघा को कहा ठीक है तुम मेरे लिए नाश्ता लगा दो।
मेघा ने मेरे लिए नाश्ता लगा दिया था और मैं नाश्ता करने के बाद अपने ऑफिस के लिए निकल चुका था मेरे साथ मेरे बच्चे भी थे और उन्हें मैंने स्कूल तक छोड़ दिया था और उसके बाद मैं अपने ऑफिस पहुंचा। जब मैं अपने ऑफिस पहुंचा तो उस दिन मुझे ध्यान नहीं था कि हमारे मैनेजर का बर्थडे है लेकिन जब मैं ऑफिस में अपने दोस्तों से मिला तो मेरे दोस्तों ने मुझे बताया कि आज मैनेजर का बर्थडे है। सब लोग उनके लिए कुछ ना कुछ लेकर आए हुए थे लेकिन मैं कुछ लेकर नहीं जा पाया था क्योंकि मुझे ध्यान नहीं था इसलिए मैं अपने ऑफिस से बाहर उनके लिए गिफ्ट लेने गया। हमारे ऑफिस के पास ही एक गिफ्ट शॉप है वहां से मैंने उनके लिए गिफ्ट ले लिया और उसके बाद मैं ऑफिस वापस लौटा जब मैं ऑफिस वापस लौटा तो हमारे मैनेजर भी आ चुके थे क्योंकि मैनेजर सबके चहेते थे इसलिए उनके लिए सब लोग कुछ ना कुछ गिफ्ट लेकर आए हुए थे। मैंने भी उन्हें गिफ्ट दिया और उनसे हाथ मिलाते हुए उनके जन्मदिन की उन्हें मुबारकबाद दी हमारे ऑफिस के मैनेजर बहुत ही अच्छे हैं और उनके साथ सब लोगों की बहुत अच्छी बनती है इसलिए सब लोग उन्हें बहुत पसंद करते हैं। सब लोग अब अपना काम करने लगे दोपहर के वक्त लंच टाइम में मैं और मेरा दोस्त साथ में बैठे हुए थे तो वह मुझसे कहने लगा कि गौरव आजकल मैं काफी परेशान हो चुका हूं मैंने उससे कहा लेकिन तुम्हारी परेशानी का क्या कारण है। वह मुझे कहने लगा यार तुम तो जानते ही हो कि महंगाई कितनी ज्यादा बढ़ चुकी है और घर के खर्चे चला पाना बहुत ही मुश्किल है कुछ दिनों पहले मम्मी की तबीयत खराब हो गई थी तो उन्हें अस्पताल ले गया और अस्पताल वालो ने मेरे हाथ में अच्छा खासा बिल थमा दिया मेरा तो पूरा बजट ही खराब हो गया। मैंने अपने दोस्त निखिल से कहा निखिल यह स्थिति तो सबके साथ ही है तुम जानते ही हो आजकल खर्च कितने ज्यादा हो चुके हैं। मैं और निखिल आपस में बात कर रहे थे तो हमारे ऑफिस में काम करने वाले रोहित ने कहा कि क्या मैं तुम लोगों के साथ बैठ सकता हूं तो मैंने उसे कहा क्यों नहीं इसमें भला पूछने की क्या जरूरत है। रोहित कहने लगा कि गौरव आज भाभी ने क्या बनाया है तो मैंने रोहित से कहा लो तुम ही चखकर देख लो, मैंने अपने टिफिन को रोहित की तरफ़ बढ़ाया रोहित ने अपने टिफिन में से रोटी निकाली और अब वह मेरे टिफिन में से भी खाने लगा। कुछ देर बाद रोहित एकदम से बोल उठा की गौरव मैंने कुछ दिन पहले तुम्हें हमारी कॉलोनी में देखा था मैंने रोहित से कहा कि लेकिन मैंने तो तुम्हें उस दिन देखा ही नहीं।
तुम्हारी कॉलोनी में मैं जरूर आया था लेकिन तुम तो उस दिन मुझे कहीं दिखाई नहीं दिए रोहित कहने लगा कि मैं उस दिन अपने घर पर ही था और जब तक मैं तुम्हें फोन करता तब तक तुम अपनी कार से वापस निकल चुके थे। मैंने रोहित को कहा तुम्हारी कॉलोनी में ही मेरे एक पुराने दोस्त रहते हैं मैं उनसे ही मिलने के लिए आया हुआ था रोहित ने मुझसे कहा कि कहीं तुम्हारे दोस्त का नाम अजय तो नहीं है मैंने रोहित को कहा हां मेरे दोस्त का नाम अजय ही है। हम लोग बात कर ही रहे थे कि निखिल कहने लगा मेरा तो खाना खत्म हो चुका है अब मैं हाथ धो लेता हूं निखिल अब वहां से चला गया और थोड़ी देर बाद उसने हमारे ऑफिस की कैंटीन में चाय का ऑर्डर दे दिया था। कुछ देर बाद कैंटीन में काम करने वाला राजू चाय ले आया था और हम तीनों चाय पी रहे थे मैं रोहित के साथ बात कर रहा था लेकिन उसके साथ मेरी बात अधूरी रह गई और हम लोग चाय खत्म कर के ऑफिस में वापस लौट चुके थे।
सब लोग अपना काम करने लगे और मैं भी अपना काम खत्म कर के शाम के वक्त घर लौट आया। अगले दिन जब मैं ऑफिस गया तो रोहित ने मुझे मेरे दोस्त अजय के बारे में बताया और कहने लगा अजय का हमारी ही कॉलोनी में रहने वाली कविता भाभी के साथ अफेयर है। मुझे यह बात पता नहीं थी इसलिए मैंने जब अजय से बारे में पूछा तो वह मुझे कहने लगा कि हां कविता भाभी तो बस ऐसे ही टाइम पास है वह मुझसे अपनी चूत की गर्मी को बुझाती हैं। मैंने अजय से कहा तुम मुझे कविता भाभी का नंबर दे दो उसने मुझे कविता भाभी का नंबर दे दिया और कहा मैं तुम्हें उनसे आज ही मिलवा देता हूं। अजय ने मुझे जब कविता भाभी से मिलवाया तो मुझे कविता भाभी से मिलकर बहुत अच्छा लगा। अजय मुझे कहने लगा मैं अभी चलता हूं मैंने उसे कहा लेकिन तुम कहां जा रहे हो? वह मुझे कहने लगा मैं थोड़ी देर बाद आ जाऊंगा मैं किसी जरूरी काम से जा रहा हूं। कविता भाभी और मैं साथ मे ही बैठे थे मैंने उनसे पूछा कि क्या आप अकेली रहती हैं। वह मुझे कहने लगी हां मै अकेली ही रहती हूं मेरे पति के साथ मेरी बिल्कुल भी नहीं बनती इस वजह से मैं अकेले रहना ही पसंद करती हूं और फिर वह मेरी जरूरतों को भी तो पूरा नहीं कर पाते हैं। मैंने कविता भाभी से कहा लेकिन आपकी जरूरत क्या है? वह कहने लगी मुझे सेक्स करना बहुत ही पसंद है जब तक मैं अच्छे से सेक्स नहीं करती तब तक मेरी इच्छा पूरी नहीं होती। उन्होंने मुझे कहा तुम भी तो मेरे साथ सेक्स करने के लिए आए हो। यह कहते हुए उन्होंने मेरी पैंट की चैन को खोला और मेरे अंडरवियर से लंड को बाहर निकालते हुए अपने मुंह के अंदर ले लिया। जब उन्होंने अपने मुंह के अंदर मेरे मोटे लंड को लिया तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था वह जिस प्रकार से मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर बाहर कर रही थी उससे मेरे अंदर की गर्मी बहुत ज्यादा बढ रही थी मैंने उन्हें कहा आप मेरे लंड को ऐसे ही चूसते रहो। उन्होंने मेरे मोटे लंड को बहुत देर तक ऐसे ही अपने मुंह में लेकर उनका रसपान किया और मेरे अंदर की गर्मी को उन्होंने पूरी तरीके से बढ़ा दिया था।
मैं पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुका था और उनके साथ मे सेक्स करने के लिए तैयार था। मैंने उनसे कहा मैं आपकी चूत को चाटना चाहता हूं तो उन्होंने भी अपने बदन से अपने कपड़े उतारकर मेरे सामने अपनी चूत को किया। जब उनकी चिकनी चूत को मैंने देखा तो उनकी चूत पर मैंने अपनी जीभ को लगा दिया और अपनी जीभ को लगाते हुए मैंने उनकी चूत को बहुत देर तक चाटा और मैने कविता भाभी के अंदर की गर्मी को पूरी तरीके से बढा दिया था। मैंने उन्हें कहा मै आपकी चूत के मजे लेना चाहता हूं। मैंने अपने मोटे लंड को उनकी चूत पर लगाया और अंदर की तरह डालना शुरू किया तो मेरा मोटा लंड उनकी चूत के अंदर जा चुका था। जब मेरा मोटा लंड उनकी चूत मे गया तो वह मुझे कहने लगी तुम्हारा लंड बहुत ही मोटा है। मैंने उन्हें कहा मुझे तो आपकी चूत बड़ी टाइट महसूस हो रही है। वह मुझे कहने लगी तुम मुझे और तेजी से धक्के देते रहो। मैंने उन्हें तेज गति से धक्के देने शुरू कर दिए थे और उन्हें जिस तेज गति से मै धक्के दे रहा था मुझे बहुत ही मजा आ रहा था।
मैंने उन्हें काफी देर तक ऐसे ही धक्के दिए। मैंने उन्हें कहा मुझे आपकी चूत मारने में बहुत ही मजा आ रहा है मैं उनकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को कर रहा था जिस से कि मेरे अंदर की गर्मी बढ़ती जा रही थी और मेरे अंदर की गर्मी अब इस कदर बढ़ चुकी थी कि मैंने उन्हें कहा मेरा वीर्य जल्दी बाहर आने वाला है। उन्होंने मुझे कहा कोई बात नहीं तुम अपने वीर्य को मेरी चूत मे गिरने दो मैंने अपने वीर्य को उनकी चूत में गिरा दिया। उसके बाद मैंने उन्हें डॉगी स्टाइल में चोदना शुरू किया डॉगी स्टाइल मै उनकी चूत मारकर मुझे बहुत ही मजा आ रहा था मैंने उनकी चूत के मजे बहुत देर तक लिए फिर जाकर मेरे अंदर की गर्मी बुझने लगी और मैंने अपने वीर्य को 5 मिनट के बाद उनकी चूत मे दोबारा से गिरा दिया। कुछ देर बाद अजय आया वह मझे कहने लगा तुम अब कविता भाभी से तो मिल लिए अब हम लोग चलते हैं और मैं अजय के साथ वापस चला आया।