चूतो का मेला और अकेला – 3

अब बेहिचक वह अपनी बीवी की बाहों में जकड़े उस पट पड़े बेहोश कोमल शरीर पर चढ़ गया. अपनी बाहों में भर के वह पटापट कमला के कोमल गाल चूमने लगा. कमला का मुंह रेखा के स्तन से भरा होने से वह उसके होंठों को नहीं चूम सकता था इसलिये बेतहाशा उसके गालो, कानों और आंखो को चूमते हुए उसने आखिर अपने प्यारे शिकार की गांड मारना शुरू की.

रेखा ने पूछा “कैसा लग रहा है डार्लिंग?” अमर सिर्फ़ मुस्कराया और उसकी आंखो मे झलकते सुख से रेखा को जवाब मिल गया. उसकी भी बुर अब इतनी चू रही थी कि कमला के शरीर पर बुर रगड़ते हुए वह स्वमैथुन करने लगी. “मारो जी, गांड मारो, खूब हचक हचक कर मारो, अब क्या सोचना, अपनी तमन्ना पूरी कर लो” और अमर बीवी के कहे अनुसार मजा ले ले कर अपनी बहन की गांड चोदने लगा.

पहले तो वह अपना लंड सिर्फ़ एक दो इंच बाहर निकालता और फ़िर घुसेड़ देता. मक्खन भरी गांड में से ‘पुच पुच पुच’ की आवाज आ रही थी. इतनी टाइट होने पर भी उसका लंड मस्ती से फ़िसल फ़िसल कर अन्दर बाहर हो रहा था. इसलिये उसने अब और लम्बे धक्के लगाने शुरू किये. करीब ६ इम्च लंड अन्दर बाहर करने लगा. अब आवाज ‘पुचुक, पुचुक, पुचुक’ ऐसी आने लगी. अमर को ऐसा लग रहा था मानों वह एक गरम गरम चिकनी बड़ी सकरी मखमली म्यान को चोद रहा है. उसके धैर्य का बांध आखिर टूट गया और वह उछल उछल कर पूरे जोर से कमला की गांड मारने लगा.

अब तो ‘पचाक, पचाक पचाक’ आवाज के साथ बच्ची मस्त चुदने लगी. अमर ने अब अपना मुंह अपनी पत्नी के दहकते होंठों पर रख दिया और बेतहाशा चूंमा चाटी करते हुए वे दोनों अपने शरीरों के बीच दबी उस किशोरी को भोगने लगे.

अमर को बिलकुल ऐसा लग रहा था जैसे कि वह किसी नरम नरम रबर की गुड़िया की गांड मार रहा है. वह अपने आनन्द की चरम सीमा पर कुछ ही मिनटों में पहुंच गया और इतनी जोर से स्खलित हुआ जैसा वह जिन्दगी में कभी नहीं झड़ा था. झड़ते समय वह मस्ती से घोड़े जैसा चिल्लाया. फ़िर लस्त पड़कर कमला की गांड की गहराई में अपने वीर्यपतन का मजा लेने लगा. रेखा भी कमला के चिकने शरीर को अपनी बुर से रगड़ कर झड़ चुकी थी. अमर का उछलता लंड करीब पांच मिनट अपना उबलता हुआ गाढ़ा गाढ़ा वीर्य कमला की आंतो में उगलता रहा.

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झड़ कर अमर रेखा को चूंमता हुआ तब तक आराम से पड़ा रहा जब तक कमला को होश नहीं आ गया. लंड उसने बालिका की गांड में ही रहने दिया. कुछ ही देर में कराह कर उस मासूम लड़की ने आंखे खोली. अमर का लंड अब सिकुड़ गया था पर फ़िर भी कमला दर्द से सिसक सिसक कर रोने लगी क्योंकि उसकी पूरी गांड ऐसे दुख रही थी जैसे किसी ने एक बड़ी ककड़ी से चोदी दी हो.

उसके रोने से अमर की वासना फ़िर से जागृत हो गई. पर अब वह कमला का मुंह चूमना चाहता था. रेखा उस के मन की बात समझ कर कमला से बोली “मेरी ननद बहना, उठ गई? अगर तू वादा करेगी कि चीखेगी नहीं तो तेरे मुंह में से मैं अपनी चूची निकाल लेती हूं.” कमला ने रोते रोते सिर हिलाकर वादा किया कि कम से कम उसके ठूंसे हुए मुंह को कुछ तो आराम मिले.

रेखा ने अपना उरोज उसके मुंह से निकाला. वह देख कर हैरान रह गई कि वासना के जोश में करीब करीब पूरी पपीते जितनी बड़ी चूची उसने कमला के मुंह में ठूंस दी थी. “मजा आया मेरी चूची चूस कर?” रेखा ने उसे प्यार से पूछा. घबराये हुई कमला ने मरी सी आवाज में कहा “हां, भाभी” असल में उसे रेखा के स्तन बहुत अच्छे लगते थे और इतने दर्द के बावजूद उसे चूची चूसने में काफ़ी आनन्द मिला था.

रेखा अब धीरे से कमला के नीचे से निकल कर बिस्तर पर बैठ गई और अमर अपनी बहन को बाहों में भरकर उसपर चड़ कर पलंग पर लेट गया. उसने अपनी बहन के स्तन दोनों हाथों के पम्जों में पकड़े और उन छोटे छोटे निपलों को दबाता हुआ कमला का मुंह जबरदस्ती अपनी ओर घुमाकर उसके गुलाबी होंठ चूमने लगा. बच्ची के मुंह के मीठे चुम्बनों से अमर का फ़िर खड़ा होने लगा.

अमर ने अब अपने पंजों में पकड़े हुए कोमल स्तन मसले और उन्हें स्कूटर के हौर्न जैसा जोर जोर से दबाने लगा. हंसते हुए रेखा को बोला “डार्लिन्ग, मेरी नई स्कूटर देखी, बड़ी प्यारी सवारी है, और हौर्न दबाने में तो इतना मजा आता है कि पूछो मत.” रेखा भी उसकी इस बात पर हंसने लगी.

चूचियां मसले जाने से कमला छटपटाई और सिसकने लगी. अमर को मजा आ गया और अपनी छोटी बहन कमला के रोने की परवाह न करता हुआ वह अपनी पूरी शक्ति से उन नाजुक उरोजों को मसलने लगा. धीरे धीरे उसका लंड लम्बा होकर कमला की गांड में उतरने लगा. कमला फ़िर रोने को आ गई पर डर के मारे चुप रही कि भाभी फ़िर उसका मुंह न बांध दे.

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लौड़ा पूरा खड़ा होने पर अमर ने गांड मारना फ़िर शुरू कर दिया. जैसे उसका लम्बा तन्नाया लंड अन्दर बाहर होना शुरू हुआ, कमला सिसकने लगी पर चिल्लाई नही. रेखा मुस्काई और कमला से बोली. “शाबाश बेटी, बहुत प्यारी गाण्डू लड़की है तू, अब भैया के लंड से चुदने का मजा ले, वे रात भर तुझे चोदने वाले हैं.”

रेखा उठ कर अब अमर के आगे खड़ी हो गई. “मेरी चूत की भी कुछ सेवा करोगे जी? बुरी तरह से चू रही है” अमर ने रेखा का प्यार से चुम्बन लिया और कहा. “आओ रानी, तुमने मुझे इतना सुख दिया है, अब अपनी रसीली बुर का शरबत भी पिला दो, मैं तो तुंहें इतना चूसूंगा कि तेरी चूत तृप्त कर दूंगा” रेखा बोली “यह तो शहद है बुर का, शरबत नहीं, बुर का शरबत तो मैं तुम्हें कल बाथरूम में पिलाऊंगी.” रेखा की बात अमर समझ गया और उस कल्पना से की इतना उत्तेजित हुआ कि अपनी पत्नी की चूत चूसते हुए वह कमला की गांड उछल उछल कर मारने लगा.

अब उसने अपनी वासना काफ़ी काबू में रखी और हचक हचक कर अपनी छोटी बहन की गांड चोदने लगा. स्तन मर्दन उसने एक सेकंड को भी बंद नहीं किया और कमला को ऐसा लगने लगा जैसे उसकी चूचियां चक्की के पाटों में पिस रही हों. इतना ही नहीं, उसके निपल उंगलियों में लेकर वह बेरहमी से कुचलता और खींचता रहा।

“हफ़्ते भर में मूंगफ़ली जितने बड़े कर दूंगा तेरे निपल कमला. चूसने में बहुत मजा आता है अगर लम्बे निपल हो.” वह बोला. बीच बीच में अमर रेखा की चूत छोड़ कर प्यार से कमला के गुलाबी होंठ अपने दांतों में दबाकर हल्के काटता और चूसने लगता. कभी उसके गाल काट लेता और कभी गरदन पर अपने दांत जमा देता. फ़िर अपनी बीवी की बुर पीने मे लग जाता.

इस बार वह घण्टे भर बिना झड़े कमला की मारता रहा. जब वह आखिर झड़ा तो मध्यरात्रि हो गई थी. रेखा भी बुर चुसवा चुसवा कर मस्त हो गई थी और उसकी चूत पूरी तरह से तृप्त हो गई थी.

अपने शरीर का यह भोग सहन न होने से आखिर थकी-हारी सिसकती हुई कमला एक बेहोशी सी नींद में सो गई. बीच बीच में गांड में होते दर्द से उसकी नींद खुल जाती तो वह अमर को अपनी गांड मारते हुए और रेखा की चूत चूसते हुए पाती.

अन्त में जब सुबह आठ बजे गांड में फ़िर दर्द होने से उसकी नींद खुली तो देखा कि अमर भैया फ़िर हचक हचक कर उसकी गांड मार रहे हैं. कमला चुपचाप उस दर्द को सहन करती हुई पड़ी रही. भाभी वहां नहीं थी, शायद चाय बनाने गई थी. आखिर में अमर झड़ा और मजा लेते हुए काफ़ी देर उसपर पड़ा रहा. रेखा जब चाय लेकर आई तब वह उठा और लंड को आखिर कमला की गांड में से बाहर निकाला.

लंड निकलते हुए ‘पंक’ सी की आवज हुई. रेखा ने देखा कि एक ही रात में उस सकरी कोमल गांड का छेद खुल गया था और गांड का छेद अब चूत जैसा लग रहा था. अमर को देख कर वह बोली “हो गई शांति? अब सब लोग नहाने चलो, वहां देखो मैं तुमसे क्या करवाती हूं. आखिर इतनी प्यारी कुंवारी गांड मारने की कीमत तो तुम्हे देनी ही पड़ेगी डार्लिन्ग” अमर मुस्कराया और बोला “आज तो जो तुम और कमला कहोगी, वह करूंगा, मैं तो तुम दोनों चूतों और गाण्डो का दास हूं”

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“चलो अब नहाने चलो” रेखा बोली. कमला ने चलने की कोशिश की तो गांड में ऐसा दर्द हुआ कि बिलबिला कर रो पड़ी. “हाय भाभी, बहुत दुखता है, लगता है भैया ने मार मार के फ़ाड़ दी.”

रेखा के कहने पर अमर ने उसे उठा लिया और बाथरूम में ले गया. दोनो ने मिलकर पहले कमला के मसले कुचले हुए फ़ूल जैसे बदन को सहलया, तेल लगाकर मालिश की और फ़िर नहलाया. अमर ने एक क्रीम कमला की गांड के छेद में लगाई जिससे उसका दर्द गायब हो गया और साथ ही ठण्डक भी महसूस हुई. कमला अब फ़िर खिल गई थी और धीरे धीरे फ़िर अपने नग्न भैया और भाभी को देखकर मजा लेने लगी थी. पर उसे यह मालूम नहीं था कि वह क्रीम उसकी गुदा को फ़िर सकरा बना देगी और गांड मरवाते हुए फ़िर उसे बहुत दर्द होगा. अमर अपनी छोटी बहन की गांड टाइट रखकर ही उसे मारना चाहता था. अगर लड़की रोए नहीं, तो गांड मारने का मजा आधा हो जायेगा ऐसा उसे लगता था.

रेखा ने अमर से कहा. “चलो जी अब अपना वायदा पूरा करो. बोले थे कि जो मैं कहूंगी वह करोगे.” अमर बोला “बोलो मेरी रानी, तेरे लिये और इस गुड़िया के लिये मैं कुछ भी करूंगा.”

रेखा ने अमर को नीचे लिटा दिया और अपना मुंह खोलने को कहा. अमर समझ गया कि क्या होने वाला है, पर वह इन दोनों चुदैलों का गुलाम सा हो चुका था. कुछ भी करने को तैयार था. रेखा को खुश रखने में ही उसका फ़ायदा था. रेखा कमला से बोली. “चल मेरी प्यारी ननद, रात भर गांड मराई है, मूती भी नहीं है, अपने भाई के मुंह में पिशाब कर दे.” कमला चकराई और शरमा गई पर मन में लड्डू फ़ूटने लगे. अमर की ओर उसने शरमा कर देखा तो वह भी मुस्कराया. साहस करके कमला अमर के मुंह पर बैठ गई और मूतने लगी.

उस बच्ची का खारा खारा गरम गरम मूत अमर को इतना मादक लगा कि वह गटागट उसे पीने लगा. कमला की बुर अब फ़िर पसीजने लगी थी. अपने बड़े भाई को अपनी पिशाब पिला कर वह बहुत उत्तेजित हो गई थी. मूतना खतम करके कमला उठने लगी तो अमर ने फ़िर उसे अपने मुंह पर बिठा लिया और उसकी चूत चूसने लगा. उधर रेखा ने अपनी चूत में अमर का तन्नाया लंड डाल लिया और उसके पेट पर बैठ कर उछल उछल कर उसे चोदने लगी. पीछे से वह कमला को लिपटाकर उसे चूंसने लगी और उसके स्तन दबाने लगी.

जब कमला और रेखा दोनों झड़ गए तो कमला उठी और बाजू में खड़ी हो गई. बोली “भाभी, तुम भी अपना मूत भैया को पिलाओ ना, मेरा उन्होंने इतने स्वाद से पिया है, तुम्हारा पी कर तो झूंम उठेंगे.” रेखा को अमर ने भी आग्रह किया. “आ जा मेरी रानी, अपना मूत पिला दे, तू तो मेरी जान है, तू अपने शरीर का कुछ भी मेरे मुंह में देगी तो मैं निगल लूंगा.” रेखा हंसने लगी. अपने पति के मुंह में मूतते मूतते बोली. “देखो याद रखना यह बात, तुंहे मालूम है कि मूतने के बाद अब किसी दिन मैं तुंहारे मुंह में क्या करूम्गी.”

अमर अब तक उत्तेजित हो चुका था. बोला “मैं तैयार हूं अपनी दोनों चुदैलों की कोई भी सेवा करने को, बस मुझे अपनी चूत का अमृत पिलाती रहो, चुदवाती रहो और गांड मराती रहो. खास कर इस नन्ही की तो मैं खूब मारूंगा.”

रेखा मूतने के बाद उठी और बोली. “इसे तो अब रोज चुदना या गांड मराना है. एक दिन छोड़ कर बारी बारी इसके दोनों छेद चोदोगे तो दोनों टाइट रहेंगे और तुंहें मजा आयेगा.”

“तो चलो अब कमला को चोदूंगा.” कहकर अमर उसे उठा कर ले गया. रेखा भी बदन पोछती हुई पीछे हो ली. उस बच्ची की फ़िर मस्त भरपूर चुदाई की गई. उसे फ़िर दर्द हुआ और रोई भी पर भैया भाभी के सामने उसकी एक न चली. रविवार था इसलिये दिन भर अमर ने उसे तरह तरह के आसनों में चोदा और रेखा कमला से अपनी चूत चुसवाती रही.

दूसरे दिन से यह एक नित्यक्रम बन गया. अमर रात को कमला को चोदता या उसकी गांड मारता. हर रात कमला को दर्द होता क्योंकि जो क्रीम उसकी चूत और गांड में लगाई जाती थी उससे उसके छेदों को आराम मिलने के अलावा वे फ़िर टाइट भी हो जाते. स्कूल से वापस आने पर दिन भर रेखा उस बच्ची को भोगती. उसकी चूत चूसती और अपनी चुसवाती.

अमर रात को ब्लू फ़िल्म देखते समय कमला की गांड में लंड घुसेड़कर अपनी गोद में बिठा लेता और उसे चूमते हुए, उसकी छोटी छोटी मुलायम चूचियां मसलते हुए उछल उछल कर नीचे से गांड मारते हुए पिक्चर देखा करता. उधर रेखा उसके सामने बैठ कर उसकी कमसिन बुर चूसती. एक भी मिनट बिचारी कमला के किसी भी छेद को आराम नहीं मिलता. आखिर कमला चुद चुद कर ऐसी हो गई कि बिना गांड या चूत में लंड लिये उसे बड़ा अटपटा लगता था.

धीरे धीरे रेखा ने उसे करीब करीब गुलाम सा बना लिया और वह लड़की भी अपनी खूबसूरत भाभी को इतना चाहती थी कि बिना झिझक भाभी की हर बात मानने लगी. यहां तक कि एक दिन जब रेखा ने उससे चूत चुसवाते चुसवाते यह कहा कि पिशाब लगी है पर वह बाथरूम नहीं जाना चाहती, वह किशोरी तुरंत रेखा का मूत पीने को तैयार हो गई. शायद रेखा का मतलब वह समझ गई थी. “भाभी, मेरे मुंह में मूतो ना. प्लीज़ तुंहें मेरी कसम, मुझे बहुत दिन से यह चाह है.”

“बिस्तर तो खराब नहीं करेगी? देख गिराना नहीं नहीं तो चप्पलों से पिटेगी.” रेखा मन ही मन खुश होकर बोली. कमला जिद करती रही. आखिर वहीं बिस्तर पर रेखा की चूत पर मुंह लगाकर वह लेट गई और रेखा ने भी आराम से धीरे धीरे अपनी ननद के मुंह में मूता. वायदे के अनुसार कमला पूरा उसे निगल गई, एक बूंद भी नहीं छलकाई. अब रेखा को बाथरूम जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती थी क्योंकि रात को उसका पति और दिन में ननद ही उसके बाथरूम का काम करते थे.

चोद चोद कर उस लड़की की यह हालत हो गई कि वह कपड़े सिर्फ़ स्कूल जाते समय पहनती थी. बाकी अब दिन रात नंगी ही रहती थी और लगातार चुदती, रात को बड़े भाई से और दिन में अपनी भाभी से. उसके बिना उसे अच्छा ही नहीं लगता था. उसके लंड की प्यास इतनी बढ़ी कि आखिर अमर ने रेखा को एक रबर का लंड या डिल्डो ला दिया जिससे उसकी चुदैल पत्नी भी दिन में अपनी ननद को चोद सके और उसकी गांड मार सके.