प्यासी बीवी, अधेड़ पति

दोस्तो, मैं हूँ हनी. मैं अक्सर यहाँ नौकर से चुदाई सेक्स कहानी, हिंदी सेक्स कहानी और सामूहिक चुदाई कहानी पढ़ने आती हूँ। मैं एक पंजाबन हूँ मेरा शहर अमृतसर है, मेरी उम्र है अठाईस साल। मैं एक बच्ची की माँ भी हूँ, मैंने बी.सी.ए के बाद दो साल की एम.एस.सी-आई टी की, मैं बहुत चुदक्कड़ औरत हूँ, स्कूल के दिनों से मैंने चुदाई का रस चख लिया था. naukar ne choda

मैंने जिंदगी में कई लंड लिए, लेकिन बच्ची होने के बाद मेरी छोटे लंड से तसल्ली नहीं हो पाती, मेरे पति मुझसे उम्र में काफी बड़े हैं, मैंने उनके साथ घरवालों के खिलाफ जाकर शादी की थी, उनके पास बहुत पैसा था.

मैं एक साधारण से घर में पैदा हुई थी. naukar ne choda

हम तीन बहनें ही हैं, शौक पूरे करने के लिए मैंने शुरु से अमीर लड़कों से चक्कर चलाये थे, पति का बिज़नस बहुत फैला हुआ है, मुझे किसी चीज़ की कमी नहीं। मैं और मेरे पति ही भारत में थे, इनके दोनों भाई अमेरिका में बिज़नेस करते थे, सासू माँ वहीं रहती, ससुर भी !

शादी के बाद भी मैं चुदाई अपने पति तक ज्यादा देर सीमित नहीं रख पाई थी, उम्र के फर्क की वजह से वो रोज़ रात को मुझे सुख नहीं देते थे, बिज़नस के चलते शहर से बाहर, कभी देश से बाहर भी रहना पड़ता था, मेरी तन की आग नहीं बुझती थी, घर से बाहर निकल कर किसी मर्द से इतनी जल्दी संबंध बनाना सही नहीं था। इनका बहुत नाम था, काफी लोग इनको जानते थे, इसलिए डरती थी, इनको भनक भी पड़ गई मुझे छोड़ ना दें, ऐशो आराम की जिंदगी से कहीं वो मुझे निकाल ना फेंके, घर में कई नौकर थे।

एक दिन में अपने कमरे में खड़ी थी.. naukar ne choda

तभी मेरी नज़र पिछवाड़े में पड़ी, हमारा बावर्ची बनवारी लाल खुले में ताजे पानी से नहा रहा था, उसने सिर्फ अंडी पहना हुआ था, पानी से चिपका पड़ा था, उभरा हुआ देख मेरी फुदी में खुजली होने लगी, सोचा बाहर से अच्छा यही है कि सभी नौकरों को अलग अलग आजमा कर देखूं, कोई तो सैट हो जाए तो घर में गंगा वाला काम होता।

नहाने के बाद उसने दोपहर का खाना बनाने आना ही था, हल्की गुलाबी जालीदार नाईटी काली ब्रा पैंटी ऊपर से खुली रख ली, लाबी में बैठ गई।

आज जब उसने मुझे देखा उसकी नज़र सर से पाँव तक गई, मैंने नशीली आँखों से उसको देखा जब उसकी नज़रें मिली तो मैं होंठ चबाते हुए मुस्कुरा दी।

अनाड़ी तो वो था नहीं, मैं कमरे में आकर लेट गई, उसको मेरे पास आना ही था। सर के नीचे बांह रख दरवाज़े की तरफ पिछवाड़ा करके एक साइड के बल लेट गई, जांघों से ऊपर तक नाईटी उठा रखी थी, वो चाय लेकर आया, दरवाज़ा खटखटाया।

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“आ जाओ !”

“मैडम चाय !”

“रख दो !” naukar ne choda

“खाने में क्या बनाना है? साब आयेंगे दोपहर को?”

“नहीं, वो शायद रात को लौटेंगे, मेरा दिल नहीं है !”

मैं सीधी होकर लेटी, नाईटी जांघों तक उठा ली, मेरी पैंटी उसको साफ़ दिख रही थी।

“सुबह से तबीयत सही नहीं है, बदन दुःख रहा है !” मैंने अंगड़ाई लेने के बहाने से नाईटी आगे से खोल दी।

“फिर क्या बनाऊँ?” naukar ne choda

उसकी नजर ब्रा में से झाँक रहे कबूतरों पर थी।

“क्या देख रहा है? जा ठंडी बीयर के दो मग बना !”

“क्या कह रही हो मैडम?”

“सही कह रही हूँ, बदन टूट रहा है, रात को तेरेसाब ने जोर देकर अपने साथ स्कॉच पिला दी थी, पीकर खुद शराबी होकर सो गए, गर्म शराब गर्म शवाब को जलाती रही !”

“आपके लिए बना देता हूँ !”

“नहीं दोनों के लिए !”

“कहीं साब आ गए तो वो मुझे नौकरी से निकाल देंगे !”

अंगड़ाई लेकर मैं बोली- सब दरवाज़े बंद कर ले, जल्दी से आ जा !

वो पांच मिनट बाद ट्रे में दो मग बना कर ले आया, मुझे पकड़ा कर अपना लेकर खड़ा था, बोला- मैं बाहर बैठ पी लूँगा।

मैंने पांच मिनट में मग ख़त्म किया, उसको आवाज़ लगाई- बनवारी, ख़त्म हो गई, दो और बना कर ले आ !

मैंने नाईटी उतार दी चादर लपेट कर बैठ गई।

“अपने लिए बनाया?” naukar ne choda

“हाँ मैडम !”

मुझे सरूर सा होने लगा, मग की बजाए मैंने पजामे के ऊपर से उसके लंड को पकड़ लिया।

वो घबरा गया- मैडम, यह क्या? छोड़ दो?

मैंने कस के पकड़ लिया। naukar ne choda

क्या करता? अगर हटता तो दर्द होता ! मुँह आगे करके पजामे के ऊपर से अपने होंठ रगड़े, हल्के से दांतों से काट भी लिया।

उसका तो दिमाग घूम गया कि यह सब?

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उसको अंदेशा था, लेकिन इतनी जल्दी में इतना कर दूंगी, यह बनवारी ने नहीं सोछ होगा।

“इसको साइड टेबल पर रख दे ! कैसा मर्द है रे तू?”

मैंने चादर उतार फेंकी। मेरे गोरे जिस्म को काली ब्रा पैंटी में देख बुड्डों के लुल्लों में जान आ जाती है, मैंने उसके पजामे के नाड़े को खींच दिया। पजामा घिर गया, उसका अंडी फूलता जा रहा था, मैंने अंडी के ऊपर से चूम लिया, धीरे से उसके अंडी की इलास्टिक को प्यार से नीचे सरकाया !

‘उह !’ उसका काला बड़ा सा आधा सोया लंड जो नर्वस होने की वजह से पूरा खड़ा नहीं हो रहा था, कुछ डर की वजह से !

“देख बनवारी, मर्द बन मर्द ! पूरा घर लॉक है, अपनी कसम तेरे साब शहर में ही नहीं हैं !”

बोला- मैडम, ड्राईवर तो गाड़ी लेकर आएगा, क्या समझेगा?”

“तेरा दोस्त है न वो?” naukar ne choda

“हाँ !”

“फिर बातें भी खुलीं होंगी एक दूसरे से? एक कमरे में रहते हो, मैं बहुत प्यासी हूँ, कैदी की तरह हूँ यहाँ !”

“क्यूँ? साब का बिल्कुल ही खड़ा नहीं होता?”

“मुश्किल से होता है, सड़क पर चढ़ते ही पंचर हो जाता है !”

“आप दोनों की उम्र में कितना अंतर है? आपने शादी क्यूँ करी? पैसे के लिए ना? फिर एक चीज़ मिल जाए, उसके लिए कुछ कमी सहनी पड़ती है !”

मैंने उसके लंड को मुँह में लेते हुए कहा- अपनी चूतिया बकवास बंद कर, मेरे अंग अंग को चकनाचूर कर डाल !

हौंसला लेते हुए वो चप्पल उतार मेरे डबल बैड पर चढ़ आया, अपना कमीज़ उतार फेंका, मुझे वहीं बाँहों में कस कर मेरे होंठ चूसने लगा साथ में ब्रा के कप में हाथ घुसा मम्मा दबाने लगा।

“हाँ, यह हुई ना बात ! मसल डाल मेरे राजा ! अंग अंग ढीला कर दे अपनी मालकिन का !”

“हाय मेरी जान ! तेरे जैसी औरत को कौन मर्द चोदना नहीं चाहेगा ! मैं बस डरता था, तेरी सूखती हुई ब्रा-चड्डी को बाहर देख हम मुठ मारते हैं !”

“हाय, सच्ची?” naukar ne choda

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“हाँ मेरी जान, सच्ची !”

उसने पीठ पर हाथ लेजा कर ब्रा उतारी, खींच कर मेरी कच्छी उतारी, मैंने उसको धकेला और उसके लंड पर होंठ रख दिए, चूसने लगी। अब उसका लंड अपना असली रंग पकड़ने लगा था, काला मोटा लंबा लंड देख मेरी तो फुद्दी में खलबली मच रही थी। उसने भी मजे ले लेकर चुसवाना चालू कर दिया, साथ साथ उसने मेरे दाने को रगड़ना चालू किया ! मैं पागल हो हो कर लंड चूस, चाट, चूम रही थी।

पति का अगर इतना चूसती तो मुँह में पानी निकल जाता, बनवारी मंझा हुआ खिलाड़ी था, उसने अचानक से मेरी टांगें खोल दी, अपनी जुबां को मेरी फुद्दी पर रगड़ने लगा, कभी घुसा कर घुमा देता तो मेरी जान निकल जाती !

मैंने कहा- एक साथ दोनों के अंग चाटते हैं राजा !

69 के एंगल में आकर मैंने उसके लंड को चाटना चालू किया तो उसने मेरी फुद्दी को !

मैं झड़ने लगी लेकिन उसका लुल्ला मैदान में डटा था, क्या औज़ार था उसका !

वो मुझे खींच कर बैड के किनारे लाया, खुद खड़ा होकर अपने बड़े लंड को घुसाने लगा। कई दिन से ऐसा लंड न लेने से मेरी फुद्दी काफी कस चुकी थी, मुझे दर्द हुई लेकिन उस दर्द में सच्चे मर्द की पहचान थी। देखते ही देखते उसका पूरा काला लंड मेरे अंदर था और झटके दे रहा था, उसने किनारे पर ही मुझे पलटा, फुद्दी पर थूका और घोड़ी के अंदाज़ में मेरी फुद्दी मारने लगा।