हमारी रंगीन रात
Antarvasna, kamukta: मेरे दोस्त मनीष का मुझे एक दिन फोन आता है वह काफी ज्यादा परेशान था वह मुझे कहने लगा कि रोहन मुझे तुमसे मिलना है। मैंने मनीष को कहा हां कहो मनीष तुम्हें क्या काम था तो वह मुझे कहने लगा कि मुझे तुमसे मिलना है मुझे तुमसे कुछ जरूरी काम था। मैंने मनीष को कहा कि ठीक है हम लोग आज शाम को मिलते हैं क्योंकि मैं उस वक्त ऑफिस में था इसलिए उससे मिल पाना संभव नहीं था। जब शाम के वक्त मैं अपने ऑफिस से फ्री हुआ तो मैं मनीष को मिलने के लिए उसके घर पर गया मैं जब उसके घर पर गया तो वह घर पर ही था मैंने उससे कहा कि तुमने आज मुझे फोन कैसे किया। मैंने मनीष को यह बात पूछी तो वह मुझे कहने लगा कि रोहन मैं कुछ दिनों से बहुत परेशान हूं और मानसिक रूप से तनाव में भी हूं। मुझे मनीष की कुछ बात समझ नहीं आ रही थी लेकिन जब उसने मुझे अपने रिलेशन के बारे में बताया तो वह मुझे कहने लगा कि उसकी पत्नी ने उसे डिवोर्स दे दिया है।
मैंने मनीष को कहा लेकिन मुझे इस बारे में तो कुछ भी पता नहीं था तो वह मुझे कहने लगा रोहन मैं तुम्हें क्या बताता मैं खुद ही इस बात से बहुत ज्यादा परेशान हो चुका था मेरे पास किसी भी बात का कोई जवाब नहीं है। मैं समझ चुका था कि मनीष इसीलिए इतना ज्यादा परेशान है और उसे किसी के साथ की जरूरत है इसीलिए उसने मुझे फोन किया था। मैंने मनीष को कहा कि देखो मनीष तुम्हें जब भी मेरी जरूरत हो तो तुम मुझे बता देना लेकिन तुम अभी यह बताओ कि इस स्थिति में मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकता हूं। मनीष मुझे कहने लगा कि रोहन मैं चाहता हूं कि तुम कुछ दिनों के लिए पापा मम्मी को यहां बुला लो। मनीष की पत्नी की वजह से उसके पापा मम्मी भी घर छोड़ कर जा चुके थे और मनीष उनसे इस बारे में बात नहीं करना चाहता था इस वजह से मुझे ही मनीष के पापा मम्मी से बात करनी पड़ी।
मैंने जब उनसे बात की तो मैंने उन्हें कहा कि अंकल आंटी आप घर आ जाइए मनीष को आपकी बहुत जरूरत है तो वह लोग भी अब समझ चुके थे कि मनीष को उनकी जरूरत है इसलिए वह लोग वापस आ गए। मनीष के माता पिता वापस आ चुके थे और उनके आने से मनीष की मानसिक स्थिति भी ठीक होने लगी थी क्योंकि मनीष को पहले काफी अकेलापन महसूस हो रहा था शायद यही वजह थी कि बहुत परेशान रहने लगा था। अब मनीष के पापा मम्मी के घर वापस लौटने से वह अपनी जिंदगी सामान्य तरीके से जीने लगा था और सब कुछ ठीक होने लगा था मनीष की जिंदगी में आप सब ठीक हो चुका था वह अपनी जॉब पर भी जाने लगा था। मैंने मनीष को कहा कि तुमने यह बहुत ही अच्छा किया कि तुम कम से कम अब अपनी जॉब पर जाने लगे हो। वह मुझे कहने लगा कि तुम तो जानते हो कि मैं कितना ज्यादा परेशान हो गया था और मेरी परेशानी की वजह सिर्फ मेरी पत्नी थी जिसकी वजह से मेरी जिंदगी पूरी तरीके से खराब हो गई मैं इतना ज्यादा परेशान हो चुका था कि मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन तुमने मेरी बहुत मदद की। मैंने मनीष को कहा देखो मनीष तुम मेरे दोस्त हो और तुम्हारी मदद करने का फर्ज तो मेरा था ही मैंने अगर तुम्हारी मदद की तो इसमें मैंने तुम पर कोई एहसान नहीं किया है अगर मुझे भी कभी तुम्हारी मदद की आवश्यकता होगी तो मैं तुम्हें जरूर कहूंगा। मनीष कहने लगा कि रोहन मैं तो तुम्हारे लिए हमेशा ही तैयार हूं और मैं जानता हूं कि तुम बहुत ही अच्छे हो मनीष की जिंदगी अब सामान्य हो चुकी थी और उसकी जिंदगी में उसके पापा मम्मी के लौट आने से कहीं ना कहीं वह बहुत खुश था और अब सब कुछ सामान्य तरीके से चलने लगा था। शायद मेरी जिंदगी में भी अब बाहर आने वाली थी क्योंकि मेरी जिंदगी भी काफी वीरान थी मैं सुबह ऑफिस जाता और शाम को घर लौट आता मेरी जिंदगी में भी कुछ नयापन नहीं था लेकिन जब मेरी लाइफ में सुहानी आई तो मुझे बहुत ही अच्छा लगने लगा। सुहानी के मेरी जिंदगी में आने से मुझे उसकी अहमियत का पता चलने लगा और सुहानी और मैं एक दूसरे के करीब आते चले गए, मैंने सुहानी को कहा कि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं।
सुहानी भी यह बात समझ चुकी थी क्योंकि सुहानी को मेरा साथ अच्छा लगने लगा था लेकिन सुहानी कि एक दुविधा थी की सुहानी की दो बड़ी बहने थी और उनकी शादी अभी तक नहीं हुई थी। सुहानी मुझे कहने लगी कि रोहन मैं भी तुम्हें पसंद करती हूं लेकिन तुम्हारे साथ मैं जिंदगी नहीं बता सकती क्योंकि मुझे उसके लिए समय चाहिए होगा मेरी अभी दो बड़ी बहनें हैं जिनकी शादी अभी नहीं हुई है। मैंने सुहानी को कहा कि सुहानी मैं तुम्हारे साथ हमेशा से ही खुश हूं। हम लोगों को सिर्फ 6 महीने ही हुए थे लेकिन 6 महीनों में सुहानी ने मुझ पर ऐसा जादू कर दिया था कि मुझे तो लगा था कि जैसे हम एक दूसरे को ना जाने कब से जानते हैं और हम दोनों एक दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने लगे थे। एक दिन मैं और सुहानी हमारे ऑफिस के बाहर कैंटीन में बैठे हुए थे और हम लोग वहां पर एक दूसरे से बातें कर रहे थे मुझे नहीं मालूम था कि सुहानी के पिताजी हम दोनों को देख लेंगे। जब उन्होंने हमें देख लिया तो उसके बाद शायद मेरे और सुहानी के पास कोई भी रास्ता नहीं था उन्होंने सुहानी से मेरे सामने ही पूछा कि यह लड़का कौन है तो सुहानी ने मेरे बारे में अपने पिता को सब कुछ बता दिया और उन्हें मेरे बारे में सब पता चल चुका था।
वह चाहते थे कि मैं अपने माता-पिता को उनसे मिलाऊँ इसलिए उन्होंने मुझे कहा कि मैं तुम्हारे माता-पिता से मिलना चाहता हूं। मैंने भी सोचा कि क्यों ना मम्मी पापा को सुहानी के पापा से मिलवा दिया जाए और जब पापा और मम्मी सुहानी के पापा से मिले तो उन्होंने उनके सामने सारी बात बता दी और अब सुहानी और मैं एक दूसरे से शादी करने के लिए तैयार थे। सुहानी के पिता ने सुहानी से पूछा कि क्या तुम रोहन से शादी करना चाहती हो तो सुहानी ने अपने पापा से कहा कि हां मैं रोहन से शादी करना चाहती हूँ। सुहानी के पापा के पास भी कोई और रास्ता नहीं था और उन्होंने मेरी शादी सुहानी से करवाने का फैसला कर लिया था मैं तो इस बात से बहुत खुश था कि सुहानी की शादी मुझसे होने वाली है और सुहानी भी बहुत ज्यादा खुश थी। हम दोनों की सगाई का दिन तय हो गया और जब हम लोगों के सगाई हुई तो उस दिन हमारे दोस्त भी सगाई में आए हुए थे और हमारे रिश्तेदार भी हमारी सगाई में आए हुए थे। हम लोगों ने काफी धूमधाम से सगाई का अरेंजमेंट किया हुआ था। हमारी सगाई हो चुकी थी और जल्द ही हम दोनों की शादी भी होने वाली थी करीब 5 महीने बाद हम दोनों की शादी हो गई और फिर हम दोनों पति-पत्नी बन चुके थे। हम दोनों की शादी हो चुकी थी और हम दोनों की शादी की पहली रात थी। मैं और सुहानी एक दूसरे के साथ रूम में बैठे हुए थे। मैंने सुहानी से कहा मैं तुमसे शादी कर के बहुत खुश हूं। सुहानी ने भी मुझे कहा मैं भी बहुत खुश हूं। उसने मुझे कहा रोहन मैं तुम्हें गले लगाना चाहती हूं? मैंने सुहानी को कहा भला इसमें पूछने की क्या बात है। जब मैंने सुहानी से कहा कि अब हम दोनों पति-पत्नी बन चुके हैं तो सुहानी भी इस बात को समझ चुकी थी और वह चाहती थी कि मैं उसकी योनि के अंदर अपने लंड को घुसाना चाहता हूं। मैने सुहानी से कहा मै तुम्हारी योनि के अंदर अपने लंड को घुसाना चाहता हूं। सुहानी मुस्कुराने लगी मैंने सुहानी के होंठों को चूमना शुरू किया तो सुहानी को गर्मी महसूस होने लगी उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी।
मैंने भी अब कूलर को तेज कर दिया जिससे कि कमरे में अब ठंड का एहसास होने लगा था। मैं चाहता था कि मैं सुहानी के साथ पूरी तरीके से मजे लूं। मैंने जब सुहानी के नरम और मुलायम होठों को चूमा तो वह उत्तेजित हो चुकी थी। अब मैं पूरी तरीके से गर्म हो चुका था मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो उसे देखकर सुहानी ने मुझे कहा मैं तुम्हारे लंड को मुंह में लेना चाहती हूं। जब सुहानी ने मेरे मोटा लंड को अपने मुंह में लेकर उसे सकिंग करना शुरू किया तो उसको मजा आने लगा और मुझे भी बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा था। मेरे लंड से पानी बाहर निकलने लगा था मैंने सुहानी को कहा अब मुझे बहुत ही अच्छा लगने लगा है। सुहानी भी पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुकी थी और वह अच्छे से जानती थी कि अब वह रह नहीं पाएगी। मैंने सुहानी के कपड़ों को उतारकर उसकी योनि पर अपनी उंगली को लगाया तो उसे मजा आने लगा।
कुछ देर तक मैंने उसकी योनि को अपनी उंगली से सहलाया जब मैंने अपनी जीभ से सुहानी की चूत को चाटना शुरू किया तो सुहानी की योनि से पानी बाहर की तरफ को निकलने लगा। वह पूरी तरीके से मचलने लगी थी अब वह इतनी ज्यादा मचलने लगी थी कि वह बिल्कुल भी रह नहीं पाई। मैंने सुहानी की योनि पर अपने लंड को अंदर की तरफ घुसाया तो सुहानी की चूत मे मेरा लंड अंदर प्रवेश हुआ तो मैंने सुहानी से कहा मुझे मजा आ गया। सुहानी को बड़ा आनंद आने लगा था और वह जोर से चिल्ला रही थी क्योंकि उसकी योनि से बहुत ज्यादा मात्रा में पानी बाहर की तरफ आने लगा था। मुझे भी मज़ा आने लगा था मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था मेरे धक्कों में और भी तेजी आती जा रही थी। मेरे धक्के तेज होते जा रहे थे मैं बिल्कुल भी अपने अंदर की गर्मी को रोक नहीं पा रहा था। मैंने सुहानी के पैरों को अपने कंधों पर रखा और उसे तेजी से चोदना शुरू कर दिया मैंने सुहानी की योनि के अंदर बाहर अपने लंड को किया। मुझे मजा आने लगा सुहानी को भी बड़ा मजा आने लगा था मेरे अंदर की गर्मी बढ़ चुकी थी। जब मैंने अपने वीर्य की पिचकारी को सुहानी कि चूत मे मारी तो वह खुश हो गई। वह चाहती थी कि हम दोनों दोबारा से संभोग करे। मैंने सुहानी के साथ दोबारा सेक्स का मजा लिया रात भर हम दोनों ने एक दूसरे के साथ चुदाई का मजा लिया और अपनी सुहागरात को रंगीन बना कर हम बहुत ज्यादा खुश थे।