Antarvasna, kamukta: मैं और आकाश शिमला से वापस लौट रहे थे हम लोग शिमला घूमने के लिए गए थे और हमारी मोटरसाइकिल रास्ते में खराब हो गई जिस वजह से हम लोगों को उस वक्त लिफ्ट लेनी पड़ी। जिस कार में हम लोगों ने लिफ्ट ली उसने हमें थोड़े आगे तक छोड़ दिया था और उसके बाद हम लोग वहां से एक मैकेनिक को अपने साथ ले आए। उसने हम लोगों की मोटरसाइकिल ठीक की और हम दोनों उसके बाद वहां से दिल्ली वापस आ गए। जब हम लोग दिल्ली पहुंचे तो मैं उस दिन काफी ज्यादा थका हुआ था और मुझे बहुत ज्यादा बुखार भी आ गया था जिस वजह से मैंने कुछ दिनों के लिए अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली।
हम दोनों ने घूमने का प्लान बनाया था और हम लोग शिमला गए हुए थे लेकिन मेरी तबीयत खराब हो जाने की वजह से मुझे ऑफिस से कुछ दिनों के लिए छुट्टी लेनी पड़ी और मैंने ऑफिस से छुट्टी ले ली थी। जब मैंने अपने ऑफिस से छुट्टी ली तो उसके एक हफ्ते बाद मैं ऑफिस गया जब मैं ऑफिस गया तो उस दिन मेरी मुलाकात सुरभि के साथ हुई। सुरभि ने कुछ दिन पहले ही ऑफिस ज्वाइन किया था और मुझे उससे मिलकर अच्छा लगा। सुरभि और मैं एक दूसरे के काफी ज्यादा करीब आने लगे थे हम दोनों की नजदीकियां बढ़ने लगी थी।
इस बात के हमारे ऑफिस में भी चर्चे चलने लगे थे कि सुरभि और मेरे बीच में कुछ तो चल रहा है लेकिन हम दोनों के बीच ऐसा कुछ भी नहीं था हम दोनों सिर्फ एक दूसरे को अच्छे से समझते और हम दोनों एक दूसरे से बात किया करते। मैं सुरभि से काफी बातें किया करता था जिस वजह से सुरभि और मैं साथ में बहुत ही ज्यादा खुश थे। समय के साथ साथ हम दोनों एक दूसरे के और भी नजदीक आते चले गए और अब हम दोनों एक दूसरे को वाकई में चाहने लगे थे।
मैं सुरभि के बिना एक पल भी नहीं रह पाता था और ना ही सुरभि मेरे बिना रह पाती थी यही वजह थी कि हम दोनों एक दूसरे को इतना ज्यादा प्यार करने लगे थे कि हम दोनों एक दूसरे के साथ रिलेशन में रहने लगे थे और हम दोनों एक दूसरे के बिना बिल्कुल भी नहीं रह पाते थे। एक दिन सुरभि और मैं साथ में थे उस दिन जब हम दोनों ने रात में डिनर पर जाने का फैसला किया तो मैंने सुरभि को कहा कि हां यह बिल्कुल अच्छा रहेगा। काफी दिन हो गए थे हम लोग साथ में कहीं घूमने भी नहीं गए थे उस दिन हम लोग जैसे ही ऑफिस से फ्री हुए तो उसके बाद हम दोनों मूवी देखने के लिए चले गए और वहां से हम दोनों डिनर पर गए। हम दोनों ने साथ में डिनर किया और मुझे सुरभि के साथ में बहुत ज्यादा अच्छा लगा।
जब मैंने और सुरभि ने डिनर किया तो उसके बाद मैं सुरभि को छोड़ने के लिए उसके घर पर गया और वहां से मैं अपने घर लौट आया था। मैं जब घर लौटा तो मां मेरा इंतजार कर रही थी वह मुझे कहने लगी कि रोहित बेटा आज तुम काफी देर से आ रहे हो। मैंने मां को कहा कि हां मां आज काम में बिजी था इसलिए मुझे घर आने में लेट हो गई। मैंने मां से झूठ कहा था मैं मां को सुरभि के बारे में बताना तो चाहता था लेकिन मुझे लग रहा था कि शायद अभी यह सही समय नहीं है इसलिए मुझे मां को अभी इस बारे में नहीं बताना चाहिए लेकिन समय के साथ मां को भी यह बात पता चलने लगी थी कि मैं किसी लड़की को प्यार करता हूं।
एक दिन मां ने मुझसे इस बारे में पूछा तो मैंने मां को सुरभि के बारे में बता ही दिया और मैं चाहता था कि मां सुरभि को मिले इसलिए मैं एक दिन सुरभि को घर पर ले आया और मैंने सुरभि को मां से मिलाया। उस दिन सुरभि बहुत खुश थी और मुझे भी बहुत अच्छा लगा जब मैंने सुरभि को मां से मिलवाया था। सुरभि भी मां से मिलकर बहुत खुश थी और वह मुझे कहने लगी कि मुझे आज बहुत ही अच्छा लगा। उसके बाद सुरभि का हमारे घर पर अक्सर आना जाना होता रहा और मुझे भी इस बात की बड़ी खुशी थी। सुरभि और मैं एक दूसरे से मिलते हैं तो हम दोनों को बहुत ही अच्छा लगता है हम दोनों एक दूसरे के साथ काफी लंबे समय से थे और सब कुछ हमारी जिंदगी में ठीक चलने लगा था।
मैं चाहता था कि मैं सुरभि के साथ में शादी कर लूं लेकिन सुरभि अभी इस बात के लिए तैयार नहीं थी। मैंने सुरभि को इस बारे में कहा तो वह मुझे कहने लगी कि मुझे थोड़ा समय और चाहिए। मैं सुरभि की भावनाओं की रिस्पेक्ट करता था इसलिए मैं सुरभि की बात मान गया और हम दोनों का रिलेशन एक दूसरे के साथ चल रहा था। हम दोनों एक दूसरे से काफी प्यार करते और एक दूसरे को अच्छे से भी समझते थे लेकिन हम दोनों अभी भी एक दूसरे से शादी करने के लिए तैयार नहीं थे। सुरभि को इस बात के लिए समय चाहिए था मैंने सुरभि को कहा कि सुरभि आज हम दोनों कहीं साथ में चलते हैं।
मैं यह बात बिल्कुल भूल चुका था कि सुरभि का जन्मदिन भी नजदीक आने वाला है। उस दिन हम दोनों साथ में गए और मुझे जब सुरभि ने अपने बर्थडे के बारे में बताया तो तब जाकर मुझे ध्यान आया कि सुरभि का जन्मदिन नजदीक आने वाला है। उस दिन हम दोनों ने डिनर किया उसके बाद मैं सुरभि के जन्मदिन का तोहफा उसे देना चाहता था। जब मैंने सुरभि के बर्थडे पर उसके लिए एक सरप्राइज पार्टी का अरेंज किया तो वह बड़ी ही खुश हो गई और मुझे कहने लगी कि रोहित मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि तुम मेरे लिए इतनी अच्छी पार्टी अरेंज करोगे। सुरभि इस बात से बड़ी खुश थी और वह मुझे कहने लगी कि रोहित क्या तुम मुझसे बहुत प्यार करते हो तो मैंने सुरभि से कहा कि हां मैं तुमसे बहुत ज्यादा प्यार करता हूं।
सुरभि और मैं एक दूसरे के साथ उस दिन समय बिताना चाहते थे। हम दोनों ने उस दिन साथ में रुकने का फैसला कर लिया था मेरी बात सुरभि मान चुकी थी। इस बात से मैं बड़ा खुश था सुरभि मेरी बात मान चुकी है और उस दिन हम दोनों साथ में ही रुके। हम दोनों एक होटल में चले गए। जब हम लोग उस होटल में रुके तो सुरभि और मैं एक ही बिस्तर पर लेटे हुए थे क्योंकि सुरभि को भी यह बात अच्छे से पता थी कि हम दोनों के बीच आज सेक्स होगा सुरभि को इस बात से कोई भी आपत्ति नहीं थी वह मेरा साथ देना चाहती थी। मैंने जब अपने लंड को बाहर निकाला तो सुरभि ने उसे देखते ही अपने हाथों में ले लिया और वह उसे हिलाने लगी। जब वह मेरे मोटे लंड को हिला रही थी तो मुझे मज़ा आ रहा था और उसे भी बड़ा मजा आ रहा था। वह जिस तरीके से मेरे लंड का रसपान कर रही थी उससे मुझे मज़ा आ रहा था उसे भी बड़ा मजा आ रहा था।
हम दोनों ने एक दूसरे का साथ काफी अच्छे से दिया जब मुझे सुरभि की चूत में अपने लंड को डालना था तो सुरभि ने अपने पैरों को खोल लिया। मैं सुरभि की योनि को देखकर पहले तो उसकी चूत को चाटना चाहता था उसकी चूत पर एक बाल नहीं था। मैं उसकी योनि के अंदर अपनी जीभ लगा कर चाटने लगा तो वह गर्म होती चली गई। वह बहुत ही ज्यादा गरम हो चुकी थी वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी ना तो मैं रह पा रहा था ना ही सुरभि अपने आपको रोक पा रही थी। मैं उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को अब करने लगा था मेरा लंड उसकी चूत के अंदर चला गया था।
जब मेरा लंड उसकी योनि के अंदर बाहर हो रहा था तो मुझे मजा आ रहा था और उसे भी बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था। हम दोनों एक दूसरे के साथ बड़े अच्छे तरीके से सेक्स कर रहे थे। जब मैं उसकी चूत मार रहा था तो वह बहुत जोर से सिसकारियां ले रही थी और मुझे कहने लगी मेरी गर्मी को तुम ऐसे ही बढ़ाते जाओ। मेरी गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी जब मेरे माल की पिचकारी योनि में गिरी तो वह बहुत खुश हो गई और कहने लगी आज तो मुझे मजा आ गया जिस तरीके से मैंने और सुरभि ने एक दूसरे का साथ दिया था। मैंने अब दोबारा से उसे चोदना शुरू कर दिया था मेरा लंड उसकी चूत के अंदर घुस चुका था। जब मैंने सुरभि की योनि में लंड को घुसाया तो वह बड़ी जोर से चिल्लाने लगी और कहने लगी मुझे मजा आने लगा है।
अब उसे इतना मजा आने लगा था वह अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रही थी वह मेरा साथ अच्छे से दे रही थी। जब मैं उसकी चूतड़ों पर अपने लंड से प्रहार कर रहा था तो वह अपनी चूतडो को मुझसे मिलाए जा रही थी मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था जब वह अपनी चूतडो को मुझसे मिलाए जा रही थी। हम दोनों की गर्मी बढ़ती ही जा रही थी मैंने उसे कहा तुम अपनी चूतडो को मुझसे मिलाती जाओ। वह मुझसे अपनी चूतडो को मिलाती तो मुझे मजा आता। जब मैंने उसकी चूत में अपने वीर्य को गिराया तो उसने मुझे कहा आज तो मुझे मजा ही आ गया उसे बड़ा मजा आ गया था लेकिन सुरभि की चूत से खून निकल रहा था।
मैंने उसे कहा तुम्हारी चूत से बहुत ज्यादा खून निकालने लगा है वह मुझे कहने लगी मुझे इस बात की खुशी है कि मैंने पहली बार तुम्हारे साथ सेक्स किया है। सुरभि और मैं दूसरे के साथ सेक्स कर के बहुत ही खुश थे। जिस तरीके से उसने मेरा साथ दिया था उस से मै बहुत ही ज्यादा खुश था। उस दिन हम दोनों ने एक दूसरे के साथ तीन बार सेक्स किया हम लोगों ने सेक्स के बहुत ही अच्छे से मजे लिए। उसके बाद सुरभि मेरे साथ हमेशा सेक्स करने के लिए तड़पने लगी थी जब भी हम दोनों एक दूसरे के साथ शारीरिक सुख का मजा लेते तो हम दोनों को ही बहुत अच्छा लगता था।