उसकी चूत से पानी टपकने लगा था। उसने मेरा लौड़ा पकड़ पर अपने दाने पर कई बार रगड़ा मारा और फिर मस्त हो उठती थी।
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वो मेरे लण्ड के पास मेरे टट्टों को भी सहला देती थी। टट्टों को वो धीरे धीरे सहलाती थी।
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था।
मै अब चूत में अपना लण्ड अन्दर दबाने लगा, और पूरा जड़ तक पहुंचा दिया।
लगा कि अभी और घुस सकता है।
मैंने थोड़ा सा लण्ड बाहर निकाला और जोर से पूरा दम लगा कर लण्ड को घुसेड़ मारा।
उसके मुँह से फिर एक चीख निकल पड़ी,” आय हाय पापा… फ़ाड़ ही डालोगे क्या?”
“सॉरी… पर लण्ड तो पूरा घुसाये बिना मजा नहीं आता है ना”
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“सॉरी… चोदो पापा… आपका लण्ड तो पुराना पापी लगता है…” और हंस पड़ी।
चुदाई जोरों से चालू हो गई… कोमल मस्ती में तड़प उठी।
वो घोड़ी की तरह हिनहिनाने लगी… सिसकारियाँ भरने लगी।
मेरी भी सीत्कारें निकल रही थी। “हाय बिटिया… चूत है या भोसड़ी… साली है मजे की… क्या मजा आ रहा है…चला गाण्ड… जोर से…”
“पापा… जोर से चोद डालो ना… दे लण्ड… फ़ोड़ दो चूत को… माईईइ रे…आह्ह्ह्ह्ह्…ऊईईईइ” उसकी कठोर हुई नरम चूचियाँ मसल मसल कर लाल कर दी थी।
चुचूक कठोर हो गये थे…।
दोनों स्तनों को भींच कर चुदाई चल रही थी।
चूचियों को मलने से वो अति उत्तेजित हो चुकी थी।
दांत भीच कर कस कर कमर हिला कर चुदवा रही थी।
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“पापा… मैं गई… अरे रे… चुद गई… वो… वो… निकला… हाय रे… माऽऽऽऽऽऽऽ” कहते हुए कोमल ने अपना रस छोड़ दिया।
वो झड़ने लगी।
मैंने उसके बोबे छोड़ दिये और लण्ड पर ध्यान केन्द्रित किया। लण्ड को जड़ तक घुसा कर दबाव डाला… और दबाते ही गया।
उसे अन्दर लगने लगी।
“पापा…बस ना… अब नहीं…”
“चुप हो जा रे… मेरा निकलने वाला है…”
“पर मेरी तो फ़ट जायेगी ना…”
“आह आअह्ह्ह रे… मैं आया… आह्ह्ह्ह्… निकल रहा है… कोमलीईईईइ” मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया।
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“कोमल… कोमल… इधर…आ…” मैंने कोमल के बाल पकड़ कर जल्दी से उसके मुँह को मेरे लण्ड पर रख दिया।
कोमल तब तक समझ गई थी।
उसने वीर्य छूटते ही मुँह में लौड़ा घुसा लिया।
मेरा रस पिचकारी के रूप में निकल पड़ा।
कोमल वीर्य को गटागट निगलने लगी।
फिर अन्त में गाय का दूध निकालने की तरह से लण्ड दुहने लगी और बचा हुआ माल भी निकाल कर चट कर गई।
“पापा… आपके रस से तो पेट ही भर गया।” मैंने उसे नंगी ही लिपटा लिया…।
“कोमल बेटी… शुक्रिया… तूने मेरे मन को समझा… मेरी आग बुझा दी।”
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“पापा… मैं तो बहुत पहले से आपकी इच्छा को जानती थी… आपके पी सी में नंगी तस्वीरें और डाऊनलोड की गई अन्तर्वासना की कहानियाँ तक मैंने पढ़ी हैं।”
“सच …तो पहले क्यों नहीं बताया…”
“शरम और धरम के मारे… आज तो बस सब कुछ अपने आप ही हो गया और मैं आपसे चुद बैठी।” कोमल के और मेरे होंठ आपस में मिल गये… उमर का तकाजा था… मुझे थकान चढ़ गई और मैं सो गया।
सुबह उठते ही कोमल ने चाय बनाई… मैंने उसे समझाया,”कोमल देखो, आपस में चोदा-चादी करने से घर की बात घर में ही रहती है… प्लीज किसी सहेली से भी इस बात का जिक्र नहीं करना।
सब कुछ ठीक चलता रहे तो ऐसे गुप्त रिश्ते मस्ती से भरे होते हैं।”
“पापा, मेरी एक आण्टी को चोदोगे… बेचारी का मर्द बहुत पहले ही शांत हो गया था।”
“ठीक है तू माल ला और मुझे मस्त कर दे… बस…” हम दोनों एक दूसरे का राज लिये मुस्कुरा उठे।
अब मैं उसे मेरे दोस्तो से चुदवाता हूँ और वो मेरे लिये नई नई आण्टियाँ चोदने के लिये दोस्ती कराती है।
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