उसने अपनी चूत कस ली और ऊपर से कस-कस के चोदने लगी… और… मेरी मुश्किल हो गई।
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सालों बाद चुदाई को लण्ड सह नहीं पाया और वीर्य छूट पड़ा।
उसकी ताजा जवानी सच में मुझसे कुछ अधिक ही मांग रही थी।
“कोमल… हाय निकल गया मेरा माल तो…”
“पापा… निकाल दो प्लीज… पूरा निकाल दो…फिर से जमेंगे… निकाल दो…” कोमल ने मुझे प्यार से सहारा दिया।
मैं ढीला पड़ गया, लण्ड बाहर निकल आया था। मुझे यह सब बहुत ही सुहाना लग रहा था।
कोमल ने वापस धीरे-धीरे मुझे चूमना चाटना शुरू कर दिया।
मेरे लण्ड से खेलने लगी।
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प्यार से अपनी अपनी चूत मेरे मुख पर लगा दी और गीली चूत का रस पिलाने लगी।
अपने बोबे पर मेरे हाथ रख कर दबाने लगी।
अपनी गाण्ड को मेरे मुख पर रख दिया… मैंने भी शौक से जवान गाण्ड के छेद में जीभ घुसा कर चाट डाला।
इतनी देर में मेरा लण्ड फिर से तन्ना उठा।
“पापा मुझे घोड़ी बना कर चोदो।”
“हां ऐसे मजा तो आयेगा… देखा नहीं सुमन कैसे चुदवाती है…” मैं बिस्तर से उतर कर उसके पीछे आ गया।
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उसने अपने चूतड़ों को पीछे उभार लिया।
सामने मुझे उसकी चिकनी गाण्ड और उसका प्यारा सा छेद दिख गया।
“कोमल गाण्ड से शुरु करें…?”
“गाण्ड के बहुत शौकीन लगते हैं आप पापा ..?”
“वो मर्द ही क्या जिसने गाण्ड ही न मारी !”
“हाँ पापा… फिर गाण्ड कोमल की हो तो क्या बात है … लण्ड गाण्ड मारे बिना छोड़ेगा नहीं… है ना… हाय पापा… गया अन्दर …”
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“अब देख दूसरे दौर में मेरे लण्ड का कमाल… तेरी गाण्ड अब गेटवे ऑफ़ इन्डिया बनने वाली है… और चूत भोसड़ा बनने वाली है” मैंने जोश में कहा और कोमल हंस पड़ी… और सिसकारियाँ भरने लगी।
“पापा मार दो गाण्ड … जरा जोर से मारना… मेरी गाण्ड भी बहुत प्यासी है…अह्ह्ह्ह्ह” मैंने लण्ड खींच के निकाला और दबा कर अन्दर तक घुसा डाला… कोमल ने अपने होंठ भींच लिये… उसे दर्द हुआ था…
“हाय राम… मर गई… जरा नरमाई से ना…”
“ना अब यह जोश में आ गया है… मत रोको इसे… मरवा लो ठीक से अब !” दूसरा झटका और तेज था।
उसने आँखें बंद कर ली और दर्द के मारे अपने होंठ काट लिये।
मैंने लण्ड निकाल कर उसकी गाण्ड की छेद पर थूक का लौन्दा लगाया और फिर से लण्ड घुसा डाला।
इस बार उसे नहीं लगी और लण्ड ने पूरी गहराई ले ली।
उसकी गाण्ड की दीवारें मेरे लण्ड से रगड़ खा रही थी।
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मुझे मजा आने लगा था। उसकी सीत्कार भरी हाय नहीं रुकी थी।
पर शायद दर्द तो था।
मुझे गाण्ड मारने का मजा पूरा आ चुका था, मैंने उसे और तकलीफ़ ना देकर चूत चोदना ही बेहतर समझा।
जैसे ही लण्ड गाण्ड से बाहर निकाला, कोमल ने जैसे चैन की सांस ली।
“कोमल… चल टांगें और खोल दे… अब चूत का मजा लें…” कोमल ने आंसू भरे चहरे से मुझे देखा और हंस पड़ी।
“बहुत रुलाया पापा… अब मस्ती दे दो ना…” मुझे उसकी हालात नहीं देखी गई।
“सॉरी कोमल… आगे से ध्यान रखूंगा !”
“नहीं पापा… यही तो गाण्ड मराने का मजा है… दर्द और चुदाई… न तो फिर क्या गाण्ड मराई…” उसकी हंसी ने महौल फिर से वासनामय बना दिया।
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मैंने उसकी चूत के पट खोल डाले और अन्दर गुलाबी चूत में लण्ड को घिसा… उसका दाना लण्ड के सुपाड़े से रगड़ दिया।
वो कुछ ही पलों में किलकारियाँ भरने लगी।
चूत की गुदगुदी से खिलखिला कर हंस पड़ी।
ये वासना भरी किलकारियाँ और हंसी मुझे और उत्तेजित कर रही थी।
उसकी गुलाबी चूत पर लण्ड का घिसना उसे भी सुहा रहा था और मुझे भी सुहा रहा था।
बीच-बीच में मैं अपना लण्ड धक्का दे कर जड़ तक चोद देता था। फिर वापस निकाल कर उसकी रस भरी चूत को लण्ड से घिसने लगता था।