देहाती चाची की चुदाई

हैलो दोस्तो, अन्तर्वासना और हिंदी चुदाई कहानी के दुनिया में आपका स्वागत है। मेरा नाम अमित है। मैं एक छोटे से गाँव का रहने वाला हूँ और मैंने स्नातक (ग्रेजुएशन) तक पढ़ाई की है। मैं बचपन से बहुत शर्मीला हूँ, इस वजह से मैं लड़कियों से कम ही बात करता हूँ। मैं आज आपको मेरे जीवन में हुई सच्ची घटना के बारे में बताने जा रहा हूँ, उस वक़्त मैं बारहवीं कक्षा में पढ़ता था। Mastaram Desi kahani

जैसाकि मैंने बताया कि मैं बचपन से ही बहुत ही शर्मीला हूँ लेकिन बचपन से ही मुझे खूबसूरत लड़कियों और बडे बूब्स वाली आंटियों की तरफ ज्यादा ही आकर्षण रहता था।

mastaram chachi ki chudaiलेकिन अपने शर्मीलेपन के कारण मैंने किसी भी लड़की से सेक्स नहीं किया था। मेरे गांव में एक आंटी रहती थीं, उनका नाम योगिता था।

Mastaram Desi kahani – भाभी ने चोदना सिखाया

योगिता आंटी करीब 33-34 साल की होंगी, उनका एक लड़का था करीब 15 साल का लेकिन उनका शरीर अभी तक भरा और कसा हुआ था। जैसे कि 24-25 साल की औरतों का शरीर होता है।

उनकी गाण्ड को देख कर तो किसी का भी लंड खड़ा हो जाये। योगिता आंटी का घर हमारे घर से थोड़ा दूर था।

लेकिन योगिता आंटी मेरी मम्मी की सहेली थीं इसलिए कई बार हमारे घर आती- जाती रहती थीं जब भी वो हमारे घर आती थीं, मेरी नजर उनके बूब्स पर ही रहती थी क्यूंकि उनके बूब्स बहुत ही बडे थे।

मैं योगिता आंटी से बहुत ही कम बात करता था, मगर वो खुद से ही मुझे बुलातीं थीं।

वो मुझे कई बार कहती थीं कि तू हमारे घर क्यों नहीं आता?

मैं कहता, जब स्कूल की छुट्टी होगी तब आऊँगा लेकिन कभी जाता नहीं था।

मैं पढ़ाई में पहले से ही आगे था इस वजह से मेरे पापा ने मुझे कंप्यूटर ला दिया था।

गाँव के मेरे सभी दोस्त मेरे पास ही मेमोरी कार्ड भरवाते थे। योगिता आंटी के लड़के सुमित ने एक बार मुझे मेमोरी कार्ड भरने के लिये दिया था।

Mastaram Desi kahani – मकान मालिक की बेटी को चोदा

मैंने उससे कहा- जब मैं खाली होऊँगा तब तेरा मेमोरी कार्ड भर दूँगा।

उसने कहा, ठीक है।

दूसरे दिन रविवार था और मेरे मम्मी-पापा किसी काम से बाहर गये हुए थे।

दोपहर के 12 बजे थे, मैं कंप्यूटर पर मूवी देख रहा था।

एकदम से मुझे याद आया कि सुमित ने मुझे मेमोरी कार्ड भरने के लिये दिया है।

मैंने वो मेमोरी कार्ड तुरंत ही भर दिया। क्यूंकि वो शाम को लेने आने वाला था।

मैं घर में बैठा बोर हो रहा था तभी मेरे मन में योगिता आंटी के बारे में विचार आया कि योगिता आंटी मुझे कई बार कहती हैं कि तू मेरे घर कभी नहीं आता, मैं आज उनके घर भी हो आता हूँ और सुमित का मेमोरी कार्ड भी दे आता हूँ।

मैं मेमोरी कार्ड देने के बहाने से योगिता आंटी के घर जाने निकल पड़ा।

जब मैं योगिता आंटी के घर पहुँचा तो उनके घर का दरवाज़ा अन्दर से बंद था।

मैंने एक दो बार दरवाज़ा खटखटाया। शायद योगिता आँटी अन्दर सोई हुई थीं, मैंने फिर से दरवाज़ा खटखटाया, एकदम अन्दर से दरवाज़ा खुला।

मैंने अपने सामने योगिता आंटी को देखा तो मैं उन्हें देखता ही रह गया।

उन्होंने सिर्फ़ ब्लाउज और घाघरा ही पहना था।

Mastaram Desi kahani – ट्रैन में माँ को अजनबी ने चोदा

मेरा लंड तो एकदम से टाइट हो गया।

मेरे आने से योगिता आंटी बहुत ही खुश हो गईं क्यूंकि मैं पहली बार उनके घर गया था।

मैं उनके घर के अन्दर गया, उन्होंने अपने ऊपर एक दुपट्टा डाल लिया।

मैंने उनको सुमित का मेमोरी कार्ड दिया।

मैंने उनसे पूछा कि सुमित घर में नहीं है तो उन्होंने बताया कि सुमित और अंकल किसी रिश्तेदार की शादी में गये हैं, कल तक आ जायेंगे।

मैंने बोला- अब मैं चलता हूँ।

उन्होंने कहा- ऐसे कैसे? तू पहली बार हमारे घर आया है। चाय पीकर जाना पड़ेगा।

मैंने बहुत मना किया पर आंटी नहीं मानी।

योगिता आंटी मेरे लिये चाय बनाने लगीं, सामने ही गेस पर वो चाय बना रही थीं और मैं उनकी बड़ी सी गांड को देख रहा था। वो मेरे लिये चाय ले कर आईं और मुझे चाय दी।

मैं और आंटी चाय पीने लगे मैं चाय पीते-पीते आंटी के बूब्स की तरफ देख रहा था क्यूंकि उनका दुपट्टा थोड़ा नीचे आ गया था।

Mastaram Desi kahani – ऑफिस में माया की सामूहिक चुदाई

उन्होंने मुझे एक-दो बार ऐसा करते हुए देख लिया और तुरंत ही अपना दुपट्टा ठीक कर लिया।

मैं चाय पी चुका था और मेरे कप में थोड़ी सी चाय बची थी, मैंने कहा- आंटी यह चाय बच गई है, मैं और नहीं पी सकता।

उन्होंने कहा- ठीक है, लाओ मेरे कप में डाल दो।

मैं आंटी के कप में चाय डालने के लिए खड़ा हुआ, मैं आंटी की तरफ जा ही रहा था कि मेरे पैर में कुछ आने की वजह से एकदम गिरा और कप में से सारी चाय सीधे आंटी के ब्लाउजके ऊपर ही गिरी।