यह हिंदी सेक्स कहानी मेरी बड़ी बहन समीरा के कारनामों की है, जिनका रंग आप आने हिसाब से तय कर सकते हैं। वो शुरू से ही थोड़े भरे बदन वाली रही… छोटी उमर से ही उसके मोम्मे आगे भागने लगे, और गांड गहराती, चूतड़ उभरते चले गए। मुझे लगता है कि उसे इस बात का बाखूबी एहसास था, क्योंकि वो हमेशा कसी हुई पजामी पहनती थी जिससे उसकी जाँघों का नजारा देख, सारे मर्द आह आह करने लगें। didi ki chudai
उसकी शादी के वक़्त जब मैं गाँव गया तब तक मैं औरतों को किसी और नजर से भी देखने लग गया था और जब मैंने उसे दुल्हन के जोड़े में देखा, या अल्लाह ! बला की जामा-जेब लग रही थी। बीच में एक बार अनजाने उसके मोम्मों से उसी चुन्नी सरक गई तो मेरे तोते ही उड़ गए, उनका आकार देख कर। मैं तभी से सोचने लगा कि इसने ऐसा क्या खाया है गाँव में कि जवानी कपड़े फाड़ कर निकली जा रही है। आज पता चला उसकी इतनी पुष्ट खुराक का राज।
खैर अब कहानी पर आता हूँ। didi ki chudai
यह बात पिछली गर्मियों की है। हम सभी छुट्टियाँ मनाने गाँव गए थे। उस समय वहाँ समीरा दीदी भी आई हुई थी, और उनके दोनों बच्चे भी।
दीदी की शादी को अब 14 साल हो चुके थे.. didi ki chudai
लेकिन आज भी दीदी का बदन उतना ही कसा हुआ था। इस बार की छुट्टियों में भाई और पापा को कुछ काम अटक गया था इसलिए मैं और मम्मी ही गाँव आये थे।
घर पहुँचते ही सब एक दूसरे से मिल कर बहुत खुश हुए। उस वक़्त घर में ज़्यादा लोग नहीं थे। बस मैं, मम्मी, दीदी, दादी, दादा और एक चाची। खैर 2-3 दिन ऐसे ही बीत गये। एक दिन दोपहर में संदीप आया, संदीप हमारे पड़ोस वाले चाचा जी का लड़का है। समीरा दीदी से 3 साल बड़ा, मैं तो भैया ही बुलाता हूँ।
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उस वक़्त घर में बस मैं दीदी और चाची थे। चाची और दीदी बैठ कर संदीप से बातें करने लगे और मैं वहीं सामने के रूम में जाकर फेसबुक पर अपने दोस्तों से चैटिंग करने लगा। मैं जहाँ बैठा था, वहाँ से मुझे संदीप की बस पीठ दिख रही थी और दीदी एवं चची का खजाना।
तीनों में काफ़ी मज़ाक हो रहा था। ख़ास तौर से चाची के साथ तो भैया द्वीअर्थी मज़ाक कर रहे थे। मुझे लगा देवर भाभी का रिश्ता है, तो ये सब चलता होगा। थोड़ी देर बाद चाची अपने मुन्ने को नहलाने चली गईं और अब भैया और दीदी रूम में अकेले थे,
दोनों में बात नहीं हो रही थी।
करीब 2-3 मिनट तक सन्नाटा था.. मुझे लगा कि कुछ बात तो है वरना.. चाची के रहते सब सामान्य वार्तालाप कर रहे थे, अभी ये चुप क्यूं हैं?
बस मेरे शातिर दिमाग ने अपनी खुराफात चालू की।
मैंने अपने 25″ मॉनिटर की पावर बंद कर दी और उसका फेस उस तरफ कर दिया जिधर वे दोनों बैठे थे, और अपने लौड़े को ऊपर से सहलाता उनकी तरफ पीठ कर के बैठ गया।
अब पूछो कि इस बेवकूफी से क्या फ़ायदा हुआ? didi ki chudai
तो दोस्तो, मेरे कमरे में काफी कम रोशनी थी, और वे दोनों खुले में थे, तो बस मॉनिटर मेरे लिए होम थिएटर में बदल गया, उसमें मुझे वो सब परछाई में दिख रहा था जो उस कमरे में घटित हो रहा था। मेरी इस तीसरी आँख के बारे में उनमें से किसी को नहीं पता था और तभी बिल्ली के भागों जैसे छींका फ़ूटा।
मैंने देखा भैया दीदी को कुछ इशारे कर रहे थे और दीदी बार बार मेरी तरफ़ देख रही थी, लेकिन, उस्ताद तो मैं ही था न, पहले से ही हाथ पैर सब रुके, केवल आँखें चौकस। दीदी ने निश्चिन्त हो कर भैया को स्माइल दी। भैया ने अपना हाथ आगे बढ़ा कर सीधे दीदी की बाईं चूची दबोच ली और धीरे धीरे मसलने लगे। दीदी का पूरा ध्यान पहले तो मेरी तरफ़ और चाची के आने में था, लेकिन जैसे जैसे मसलन की गर्मी ऊपर चढ़ने लगी, दीदी पर खुमारी चढ़ने लगी।
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ये सब देखते देखते कब मेरी पैंट में तम्बू खड़ा होने लगा, मेरी तो हालत ख़राब हो गई।
तभी भैया ने दीदी को कुछ इशारा किया। didi ki chudai
दीदी शर्मा गईं और ना में सर हिल दिया, लेकिन उनके गाल जैसे जैसे लाल हो रहे थे, मैं समझ गया कि ये मान ही जायेंगी, बस ऊपर से इनकार है।
एक दो बार और बोलने पर दीदी ने मेरी तरफ देख कर चेक किया और धीरे धीरे अपने घुटने मोड़ कर बैठ गईं। तभी संदीप भैया ने मौके का फायदा उठाते हुए धीरे धीरे दीदी की साड़ी को पैरों की तरफ से उठाना शुरू किया और जेम्स बांड ने समझ लिया कि अब तो दीदी की चूत की घिसाई होगी। पहले तो लगा कि शोर कर के सबको बुलाऊं, लेकिन, तभी लगा कि अरे ये तो पहले से सेटिंग होगी, चलो थोड़े मजे लेते हैं, अपने को मुफ्त में मोर्निंग शो देखने मिल रहा है।
उस पर से पाजामे में बना टेंट, कुछ भी छूटना नहीं चाहिए ! didi ki chudai
समीरा दीदी की गोरी गोरी मखमली टाँगे दिख रही थीं, और चिकनी टांगों को देख लग रहा था कि अब फव्वारा छूट जाएगा।
संदीप ने साड़ी को घुटने के ऊपर तक उठा दिया था और उजली पैंटी देखते ही – उम्म्म्म्म्म्म !
गोरी जाँघें, गोरा बदन, गोरी पैंटी, और उस गर्मी से मदहोश होती दीदी की नीली आँखें, उफ़्फ़्फ़ !
तभी संदीप ने अपना हाथ बढ़ाया और सीधा दीदी की चूत को पकड़ने, दबाने, सहलाने लगा। दीदी की शक्ल भी बदली, और अचानक लगने लगा कि वो तो आमंत्रण की देवी बन गई हैं।