मेरा नाम राधा ठाकुर है मगर मेरा घर का नाम रानी है, शादीशुदा औरत हूँ। देखने में सुंदर हूँ।
पति मेरे से बहुत प्यार करते हैं, हर तरह से मुझे संतुष्ट करते हैं, शादी के 4 साल बाद आज भी हम दोनों ऐसे प्यार करते हैं जैसे अभी नई नई शादी हुई हो।
मुझे हर तरह से सेक्स करना पसंद है।बस एक ही काम ऐसा है जो मैंने नहीं किया, वो है अपने पति के अलावा किसी और से सेक्स!
ऐसी बात नहीं कि कभी दिमाग में ऐसा विचार नहीं आया, बहुत बार सोचती थी, मगर कभी कोई ऐसा शानदार मर्द मिला ही नहीं, जिसे देखते ही मैं यह चाहूँ कि इसके साथ सेक्स करके मजा आ जाएगा अगर मुझे कोई मौका मिला तो!
एक बार हम दोनों पति पत्नी एक वीडियो देख रहे थे, उस वीडियो में दो जोड़े थे, मगर खास बात यह देखी कि अपनी महिला साथियों के अलावा उन दोनों मर्दों ने एक दूसरे साथ भी संभोग किया।
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सच कहती हूँ, वो वीडियो तो मेरे दिमाग में घर कर गई, मैंने अपने पति से भी कहा- अगर कभी मौका मिला तो क्या आप इस वीडियो में जो कुछ हुआ है, वो सब करना चाहोगे?
काम के आवेग में उन्होने भी हामी भर दी- हाँ, मैं ये सब कर सकता हूँ, पर पहले तुम इधर आओ और मेरा लंड चूसो!कह कर उन्होने अपना लंड मेरे मुंह में दिया, जिसके बाद हमने धुआँदार सेक्स किया।
मगर वो वीडियो वाली बात मेरे दिमाग में बस गई और इसी तरह चलते चलते 2 साल का समय बीत गया। मगर इन दो सालों में भी मैं अक्सर जिन लोगों से मिलती थी, उन्हें देखती थी, अक्सर सोचती थी, इसकी पैंट में भी एक लंड होगा, जिससे यह अपनी बीवी या प्रेमिका को चोदता होगा।
कभी कभी को ज़्यादा ही सुंदर बांका नौजवान देखती तो दिल करता कि इससे पूछ ही लूँ- मेरी लेगा?मगर फिर सोचती कहीं ये मुझे कुछ और ही न समझे।
दो चार लोगों को लाइन भी दी, मगर किसी ने पकड़ी ही नहीं। अगर पकड़ी भी तो कहानी सिरे ही नहीं लगी, बस दूर से ही देख कर चले गए।
फिर एक दिन हमारे पड़ोसी शर्मा जी के घर में नए किरायेदार आए। शर्मा जी के घर से हमारा बहुत प्रेम है, तो जब उनके किरायेदार आए तो मैं भी खड़ी देख रही थी, मजदूर समान उतार कर अंदर रख रहे थे।
थोड़ी देर देख कर मैं वापिस अंदर आ गई और अपने काम में लग गई।
शाम को शर्मा जी ने हमें अपने घर चाय पे बुलाया, हम दोनों गए।
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शर्मा जी के ड्राइंग रूम में एक खूबसूरत जोड़ा बैठा था, दो छोटे छोटे बच्चे भी थे, करीब 28-30 साल की एक नौजवान लड़की, साथ में उसका पति वो भी करीब 30-32 का ही होगा।
दोनों की जोड़ी मुझे बहुत पसंद आई, दोनों एक दूसरे के पूरक लग रहे थे, जैसे दोनों एक दूसरे के लिए ही बने हों।
हम सब का परिचय शर्मा जी की बीवी ने करवाया, सबने मिल कर चाय पी और काफी देर तक बैठ कर बातें करते रहे।
लेकिन खास बात जो थी, मुझे वो आदमी बहुत पसंद आया, मैं बार बार उसको देख रही थी, लंबा, गोरा, पतला मगर मजबूत काठी का नौजवान! मुझे ऐसे लगा जैसे उसे देख कर मेरे बूब्स के निप्पल सख्त हो गए हों।
दिल किया कि अभी इसकी गोद में बैठ जाऊँ और इसके होंठ चूम लूँ और वो मेरे होंठ चूसता चूसता मेरे चूचुकों को मसले।
तभी मेरे बदन में जैसे झुरझुरी सी हुई, और शायद एक बूंद पानी की मेरी चूत से रिस गई, मुझे लगा जैसे जिस इंसान को मैं ढूंढ रही थी, वो मुझे मिल गया।
मगर उसने मेरी तरफ कोई खास तवज्जो नहीं दी, वो अपनी पत्नी या फिर मर्दों से बात करने में ही बिज़ी रहा। मेरी तरफ उसने सिर्फ एक या दो बार देखा।
उसकी पत्नी अंकिता एक खूबसूरत, मॉडर्न, फैशनेबल और सही शब्द का इस्तेमाल करूँ, तो सेक्सी औरत थी, नेवी ब्लू साड़ी और स्लीवलेस ब्लाउज़ में उसकी गोरी चिकनी बाहें मुझे खुद औरत होते हुये भी बहुत ही सेक्सी लगी, देखने में भी बहुत सुंदर थी और बातें तो बेहद करती थी, बस बोलती थी, हँसती थी, बोलती थी, हँसती थी।
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सारे घर में उस से ही रौनक थी।
जब हम घर वापिस आए तो मेरे पति ने भी दबी सी जुबान में उसकी सुंदरता की तारीफ की, तो मैंने भी उसके पति की पर्सनैलिटी को सराहा। मगर दोनों में से किसी ने भी अपने दिल की बात एक दूसरे से नहीं कही, चाहे मैं समझ गई के मेरे पति को उसका हुस्न भा गया और शायद मेरे पति भी समझ गए कि मुझे भी उस मर्द की मर्दानगी भा गई।
उसके बाद धीरे धीरे हम लोगों में आपसी मेल मिलाप बढ़ने लगा, अक्सर एक दूसरे के घर से दाल सब्जी की कटोरी शेयर होने लगी। खाना भी वो बहुत अच्छा बनाती थी।
कभी कभी हम एक दूसरे के घर भी आते जाते, मगर हम दोनों औरतों का आपस में रोज़ का मिलना था, धीरे धीरे हम दोनों आपस में खुलने लगी।
उसकी लव मैरिज थी।
अब बोलती ज़्यादा थी तो यह भी पता चल गया कि शादी से पहले ही इसने अपने पति के साथ सब कुछ कर लिया थ और शादी से पहले ही उसका बड़ा बेटा उसके पेट में आ चुका था, इसलिए जल्दबाज़ी में शादी करनी पड़ी।
अब जब सेक्स की बातें हमने शेयर कर ली तो मैंने उसके साथ और भी बहुत कुछ शेयर करना शुरू किया, मसलन उसे किसी और से सेक्स करने की इच्छा हो, या कोई और साधन वो इस्तेमाल करती हो, या कोई चक्कर हो किसी से!
इतना उसने ज़रूर बताया कि उसका चक्कर तो नहीं किसी के साथ मगर एक दो बार उसके पति ने उससे कहा है कि अगर 2-3 जोड़ें एक साथ सेक्स करें तो, वो इसका मज़ा लेना चाहेगा।
अंकिता को भी इस से कोई खास ऐतराज नहीं था, वो भी इसे एक खेल के तौर पे ले रही थी।
मगर दिक्कत यह थी कि मैं अपने पति को इस बात के लिए कैसे राज़ी करूँ।
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इसके लिए मैंने अक्सर उनके सामने अंकिता की सुंदरता की, उसके सेक्सी बदन की बातें करने लगी। अब जब मर्द के सामने उसकी बीवी से ज़्यादा सुंदर और सेक्सी औरत हो तो उसकी दिलचस्पी तो यकीनन उस पराई औरत में बढ़ ही जाएगी।
यही हुआ, धीरे धीरे मेरे पति भी अंकिता की बातें बड़े चाव से सुनने लगे।
मैं अक्सर उनको झूठ ही बोल देती- आज अंकिता आई, इतना खुला गला पहना हुआ कि क्या बताऊँ… अंकिता की जीन्स इतनी टाइट थी कि जैसे उसकी टाँगों पर पेंट ही किया हो। आज तो अंकिता इतना सुंदर मेकअप करके आई, इतनी सुंदर लगी कि मैंने तो उसे चूम ही लिया।
मैंने देखा में मेरे पति को अंकिता के बूब्स और हिप्स में खास इंटरेस्ट था। फिर मैंने उन्हे थोड़ा और गर्म करना शुरू किया, जब भी हम सेक्स करते, मैं अंकिता की बातें करनी शुरू कर देती और अपने पति से पूछती- अगर इस समय मेरी जगह अंकिता लेटी होती तो आप क्या करते?
सच में वो मुझे और प्यार करते और ज़्यादा मजा लेकर मेरे साथ सेक्स करते। कभी कभी तो सेक्स करते करते ‘ओह अंकिता… मेरी जान, मजा आ गया तुम्हें चोद कर… क्या मस्त चूत है तेरी!’ और ऐसी ना जाने कितनी बातें कहते।
मतलब वो भी अब अंकिता को चोदने के सपने देखने लगे थे।
कभी अगर अंकिता उनके होते घर आती तो मैं नोटिस करती के मेरे पति उसके खूबसूरत बदन को बड़े अरमान से देखते। मैं भी जानती थी कि ये मन में क्या सोच रहे होंगे।
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फिर एक दिन मैंने मौका देख कर अंकिता के आगे अपनी प्रोपोज़ल रखी- अंकिता यार एक बात सुन, देख तुझे ग्रुप सेक्स से कोई ऐतराज नहीं, मुझे नहीं तो क्यों न हम चारों मिल कर किसी दिन कुछ तूफानी करें?
अंकिता ने पहले तो मेरी तरफ बड़े ध्यान से देखा, फिर बोली- मुझे पता था कमीनी, तेरे मन में क्या चल रहा है! हम दोनों हंस दी।
‘तो फिर पूछ के देख अपने पति से?’ मैंने कहा।
‘क्यों तुमने भाई साहब से पूछ लिया क्या?’ उसने कहा।
मैंने कहा- पूछ लिया, अरे वो तो मरे फिरते हैं तेरे लिए!
‘सच में?’ अंकिता बोली- मैं तो भाई साहब को बड़ा शरीफ समझती थी?
मैंने कहा- क्यों शरीफ आदमी का खड़ा नही होता क्या? हम फिर हंस पड़ी।
अंकिता बोली- मेरे पति की कोई दिक्कत नहीं है, मगर फिर भी मुझे उनसे पूछना पड़ेगा।
मैंने भी अपने पति से रात को यह बात बताई, जब वो मेरी चूत चाट रहे थे। बस अंकिता की रजामंदी सुनते ही उन्होंने वो चटाई की कि मेरा पानी छुड़वा कर ही हटे।
उसके बाद एक दिन अंकिता ने भी हामी भर दी।
हम दोनों का तो सेट था, मगर दोनों के पति एक दूसरे के सामने आने में झिझक रहे थे तो हमने एक छोटी सी ड्रिंक पार्टी का प्रोग्राम रखा जिसमें एक दो पेग लगाने के बाद सबकी शर्म उतर जाए और हम चारों खुल कर खेल सकें।
अब बात पतियों को भी पता चल चुकी थी, तो इस बार मुझे अंकिता के पति की नज़र भी बदली बदली सी लगी। मुझे सबसे बड़ी खुशी इस बात की थी कि मैं अपनी पसंद के मर्द के साथ पहली बार सेक्स करने जा रही थी।
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हमने अंकिता और उसके पति को अपने ही घर बुलाया।
शाम का वक़्त था, थोड़ी सी औपचारिक बातचीत के बाद मर्दों ने पेग शेग का प्रोग्राम शुरू कर दिया। हम दोनों लेडीज़ के लिए वाइन लाई गई।
मैंने और अंकिता ने एक एक गिलास वाइन का लिया और मर्दों ने अपने अपने गिलास विह्सकी से भर लिए। चीयर्ज कह कर सबने एक एक घूंट भरी।
सबके सामने बड़ी अजीब सी स्थिति थी, पता सब को था कि असल में यह एक चुदाई पार्टी है, मगर बात शुरू कौन करे?
तो सब से पहले अंकिता ने ही बात शुरू की- डीयर फ्रेंड्स, अब जैसे के हम सबको पता है कि ये एक ड्रिंक पार्टी नहीं है, इसके पीछे की कहानी कुछ और है इसलिए मैं आप मर्दों से कहूँगी कि आप असली मुद्दे पे आयें और असली पार्टी शुरू करें!
उसकी बात ने मर्दों को भी हिम्मत दी तो मेरे पति बोले- देखो दोस्तो, हम चारों के मन में एक विचार है कि हम चारों अपने अपने पार्टनर बदल कर सेक्स करें और ज़िंदगी का नया मजा लें। क्योंकि यह काम हमसे किसी ने भी पहले नहीं किया है इसलिए सबको थोड़ी थोड़ी शर्म आ रही है। शर्म मिटाने के लिए मैं चाहता हूँ कि सब एक एक पेग विह्स्की का लें, और फिर आगे बात बढ़ाएँ।