कामिनी को मजा आ रहा था। फ़िर कामिनी सीधी लेट गई। अब मैं भी उससे चिपट गया और उसके वक्ष पर सिर रख लिया। मेरा लण्ड खड़ा हो चुका था। मैं धीरे धीरे उनका पेट और फ़िर जांघ सहलाने लगा।
तभी कामिनी ने अपने ब्लाउज के कुछ हुक खोल दिये यह कह कर कि बहुत गर्मी लग रही है। अब उनके चुचूक साफ़ नज़र आ रहे थे। मैंने चूचियों पर हाथ रख लिया और सहलाने लगा। मैंने उनकी चूचियाँ ब्लाउज से निकाल कर मुँह में ले लिया और दोनों हाथों से पकड़ कर मसलते हुए उनका पेटीकोट अपने पैर से ऊपर करना शुरु कर दिया। उसकी गोरी गोरी जांघों को देख कर मैं एकदम जोश में आ चुका था। उसकी चूत नशीली लग रही थी। मैंने उसकी चूत को चाटना शुरु कर दिया। मैं पागल हो चुका था। आज मेरा बहुत पुराना सपना पूरा होने वाला था।
मैंने अपने पैर कामिनी के सिर की तरफ़ कर लिये थे। कामिनी भी मेरा लण्ड निकाल कर चूसने लगी। वह मुझे भरपूर मजा दे रही थी। कुछ देर बाद कामिनी मेरे ऊपर आ गई और मैं नीचे से चूत चाटने के साथ साथ उनके गोरे और बड़े बड़े कूल्हे सहलाने लगा। कामिनी की चूत पानी छोड़ गई।
अब मैं और नहीं रह सकता था, मैं उठा और कामिनी को लिटा कर, उसकी टांगें चौड़ी करके चूत में लण्ड डाल दिया और कामिनी कराहने लगी। मैं जोर जोर से धक्के लगाने लगा। कामिनी ने मुझे कस कर पकड़ लिया और कहने लगी- मोनू ऐसे ही करो, बहुत मजा आ रहा है, आज मैं तुम्हारी हो गई, अब मुझे रोज़ तुम्हारा लण्ड अपनी चूत में चाहिये ! एएऊउ स्स स्सी स्स्स आह्ह्ह ह्म्म आय हां हां च्च उई म्म मा।
कुछ देर बाद मेरे लण्ड ने पानी छोड़ दिया और कामिनी भी कई बार डिस्चार्ज हो चुकी थी। उस दिन मैंने तीन बार अलग अलग आसनों से कामिनी को चोदा। कामिनी ने भी मस्त हो कर पूरा साथ दिया।
उसके बाद हमने कपड़े पहने और बाहर ड्राइंगरूम में आ गए, रिशु वहाँ टीवी देख रहा था, उसको देख कर कामिनी थोड़ा शरमा गई और मैंने घर का नंबर मिलाया और फोन कामिनी को दे दिया। फोन रश्मि ने उठाया और वही बात हुई जो तय हुई थी। रश्मि ने कह दिया कि वो कल दस बजे तक आ जायेगी।
मैंने कामिनी को चूम लिया तो रिशु मुस्कुराने लगा और मैं वहां से चला आया।
घर पहुँचा तो रश्मि बोली- भैया, कामिनी आंटी का फोन आया था कल सुबह दस बजे उनके यहाँ जाना है, पूजा है।
मैंने कहा- ठीक है ! नौ बजे तक तैयार हो जाना !
और मन ही मन सोचा कि पूजा तो तुम्हारी होगी, कल की जिंदगी भर नहीं भूलोगी।
अगले दिन हम सुबह साढ़े नौ बजे घर से निकले और दस बजे रिशु के घर पहुँच गए।
अंदर गए तो रश्मि ने पूछा- आंटी, क्या हम लोग सबसे पहले आ गए हैं?
Mastram Behan ki chudai – चूतो का मेला और अकेला
कामिनी- अरे नहीं, असल में पूजा रद्द हो गई क्योंकि पंडित जी बीमार हो गए ! सबको तो मैंने फोन करके मना कर दिया पर तुम्हारा फोन लग ही नहीं रहा था। अच्छा ही हुआ कि तुम आ गई, पहली बार आई हो इस घर में ! मोनू तो आता रहता हैं पर तुम तो शक्ल ही नहीं दिखाती। अब खाना खाकर ही जाना।
रश्मि- नहीं आंटी, ऐसी बात नहीं है ! पर कॉलेज के बाद समय ही नहीं मिलता।
अरे ऐसी भी क्या पढ़ाई ! यही तो उम्र है खेलने खाने की ! क्यों मोनू?
मैंने शरारत से कहा- जी, मैं तो खूब खेलता-खाता हूँ आप तो जानती ही हैं। रिशु कहाँ है?
कामिनी- नहा रहा है !
तब तक रिशु नहा कर आ गया और उसने सिर्फ एक तौलिया लपेट रखा था। उसको देख कर रश्मि शरमा गई तो रिशु बोला- अरे क्या दीदी, बचपन में हम दोनों नंगे खेलते थे और अभी तो तौलिया पहना है मैंने ! तब भी शरमा गई?
रश्मि बोली- हट बदमाश !
रिशु रश्मि के सामने इस प्रकार से बैठ गया कि उसका लण्ड रश्मि को नजर आता रहे। रश्मि की निगाहें भी बार बार उसके तौलिए के अन्दर उसके लण्ड पर जा रही थी और यह बात हम तीनों से छिपी नहीं थी।
कामिनी ने मुझसे पूछा- मोनू कोल्डड्रिंक या चाय?
मैंने कहा- चाय !
रिशु ने भी चाय माँगी तब कामिनी ने रश्मि से पूछा तो वो बोली- जब ये लोग चाय पियेंगे तो मैं भी वही ले लूंगी।
पाँच मिनट में चाय आ गई और हमने अपने अपने कप उठा लिए।
तभी रिशु किसी बहाने से उठा और रश्मि के पास गया। रिशु ने रश्मि के ऊपर अपनी चाय गिरा दी, योजना के अनुसार रिशु की चाय ज्यादा गर्म नहीं थी। और वो पूरी चाय से तरबतर हो गई।
कामिनी को मैंने इशारा किया और वो रिशु के ऊपर चिल्लाने लगी।
रिशु ने तुरंत रश्मि का टॉप खींच कर उतार दिया तो रश्मि अकस्मात हुए इस घटनाक्रम से स्तम्भित सी रह गई। जब उसे अपना होश आया तो वो अपने को रिशु से छुड़ाने का प्रयत्न करने लगी। तब तक कामिनी उनके पास पहुँच चुकी थी और कामिनी ने रश्मि को रिशु से छुड़वा कर अपनी बाहों में ले लिया, उसे बाथरूम में ले गई और उसके ऊपर शॉवर चला दिया।
हम दोनों भी बाथरूम में गए तो देखा कि कामिनी भी बिल्कुल भीग चुकी थी। कामिनी रश्मि की ब्रा भी उतार चुकी थी और उसके स्तनों को धोने के बहाने मसल रही थी, उसके चुचूकों से खेल रही थी।
रश्मि की यौनाग्नि प्रज्वलित हो चुकी थी और उसके आंखें मुंदी जा रही थी।
रिशु अन्दर गया और वो भी रश्मि के स्तन मसलने लगा। रिशु ने रश्मि की चूचियों पर हाथ फ़ेरते हुए पूछा- अब जलन तो नहीं हो रही?
इस पर कामिनी बोली- हाँ रश्मि बता दे ! अगर जलन हो रही है तो रिशु से बर्फ़ मंगवाऊँ?
मैं बोला- मैं लाता हूं बर्फ़ !
मैं बर्फ़ रसोई में जाकर फ़्रिज़ से बर्फ़ ले आया और रिशु और कामिनी दोनों उसकी चूचियों पर बर्फ़ फ़िराने लगे।
रश्मि सिहर गई और कहने लगी- नहीं आन्टी ! बहुत ठण्डी लग रही है।
तो मैं गर्म कर देता हूं ना चूस कर ! कह कर रिशु कुछ ही पलों में उसके स्तन चूसने लगा।