कुछ अलग करने की चाह
Kamukta, antarvasna पेट में बढ़ी हलचल सी हो रही थी और मेरी तबीयत भी कुछ ठीक नहीं थी मैंने सोचा शायद गर्मी की वजह से यह सब हो रहा होगा क्योंकि गर्मी भी बहुत ज्यादा थी। मुझे समझ नहीं आया कि गर्मी की वजह से यह सब है या फिर मेरी तबीयत ही खराब हो गई है। मैं उस दिन कम से कम दो-तीन बार तो फ्रेश होने के लिए जा ही चुकी थी। अब मेरी तबीयत ज्यादा खराब होने लगी थी तो मैंने अपने पति को फोन किया वह मुझे कहने लगे तुम जाकर दवा क्यों नहीं ले लेती। मैं घर में अकेली थी मेरे सास-ससुर किसी रिश्तेदार की शादी में गए हुए थे इसलिए उस दोपहर की गर्मी में मुझे ही जाना पड़ा। मैं जब घर से बाहर निकली तो मै अपने पिंक कलर के छाते को लेकर अपने घर के पास केमिस्ट की दुकान पर गई। जब मैं वहां गयी तो मैंने देखा वहां पर कोई भी नहीं था दुकान का शटर बंद था मैंने सोचा थोड़ा आगे चली जाती हूं क्योंकि 200 मीटर की दूरी पर ही एक और केमिस्ट की दुकान है मैं वहां पर चली गई।
जब मैं वहां गई तो मैंने देखा वह दुकान खुली हुई थी मैंने उन्हें बताया कि मेरे पेट में कुछ गड़बड़ हो रहा है आप उसके लिए मुझे दवाई दे दीजिए। उन्होंने मुझे दवाई दे दी और कहा कि आपको इससे जरूर आराम मिलेगा उसके बाद मैं वहां से अपने घर के लिए आ रही थी। दोपहर के वक्त पूरी गली में सन्नाटा था कोई भी दिखाई नहीं दे रहा था तभी आगे से एक महिला और एक पुरूष आते मुझे दिखाई दिए। मैं भी बड़ी तेजी से अपने घर की ओर बढ़ रही थी लेकिन जैसे ही वह महिला और पुरुष मुझे सामने आते हुए दिखाई दिए तो मुझे ऐसा एहसास हुआ कि जैसे मैं उन्हें जानती हूं। उन्होंने भी मेरी तरफ देखा तो मैंने अपनी सहेली को पहचान लिया वह मेरे साथ स्कूल के समय में पढ़ती थी। वह मुझसे कहने लगी अरे शिवानी तुम कहां जा रही हो मैंने उससे कहा मैं तो यही रहती हूं लेकिन तुम लोग कहां जा रहे हो। मेरी सहेली का नाम आशा है आशा मुझे कहने लगी यह मेरे पति हैं आशा के पति का नाम दिनेश है। मैंने जब उससे कहा तुम लोग कहां से आ रहे हो तो वह कहने लगी हम लोगों के रिलेटिव यहां पर रहते हैं हम लोग उनसे ही मिलने के लिए आए हुए थे।
मैंने आशा और दिनेश से कहा आप लोग मेरे घर पर चलिए तो वह कहने लगी कभी और आएंगे लेकिन मैं उन्हें अपने साथ अपने घर पर ले ही आई। जब मैं उन दोनों को अपने साथ अपने घर पर लाई तो मैंने आशा से पूछा तुम्हारे पति क्या करते हैं। दिनेश ने मुझे कहा मैं एक प्राइवेट संस्थान में नौकरी करता हूं और आज मेरी छुट्टी थी तो सोचा यहां पर अपने रिलेटिव से मिल लेता हूं तभी आपसे मुलाकात हुई तो अच्छा लगा। मैं और आशा अपने पुराने दिनों की बात करने लगे और दिनेश हम दोनों की बातें सुन रहे थे वह ज्यादा कुछ नहीं कह रहे थे मैंने उन दोनों से कहा मैं तुम्हारे लिए खाना बनाती हूं। मैंने उन दोनों के लिए दोपहर का लंच बना दिया और उन्होंने उस दिन मेरे साथ ही लंच किया समय का पता ही नहीं चला कि कब शाम के 4:00 बज चुके हैं। वह लोग कहने लगे अब हम चलते हैं कभी आपसे दोबारा मुलाकात करेंगे मैंने आशा से कहा तुमने तो अब घर देख ही लिया है तुम मुझसे मिलती रहना। आशा कहने लगी ठीक है मैं तुमसे मिलने के लिए आऊंगी और यह कहते हुए दिनेश और आशा ने मुझसे इजाजत ली और कहा अब हम लोग चलते हैं। वह लोग चले गए मैंने भी केमिस्ट की दी हुई दवाइयां खाई और उसके बाद मेरे पेट का दर्द थोड़ा ठीक हो चुका था। शाम के वक्त मेरे पति घर लौटे तो वह मुझे कहने लगे अब तुम्हारी तबीयत कैसी है। मैंने उन्हें बताया अब तो ठीक है लेकिन सुबह के वक्त तो मेरी हालत खराब हो गई थी और घर पर आज कोई था भी नहीं। मैंने उन्हें बताया कि आज मेरी पुरानी सहेली मुझे मिली तो वह कहने लगी चलो यह तो अच्छा हुआ जो तुम्हारी मुलाकात आज तुम्हारी सहेली से हो गई। मैंने अपने पति से कहा हां काफी वर्षों बाद वह मुझे मिली और इत्तेफाक से आज हमारी मुलाकात हो गई। उन लोगो ने दोपहर में मेरे साथ ही लंच किया। मेरे सास ससुर भी कुछ दिनों बाद लौट आये और मेरे ससुर जी के पैर में आते वक्त ना जाने कैसे चोट लगी तो उन्हें भी मुझे डॉक्टर के पास ले जाना पड़ा। मेरे पति के पास समय नहीं होता है इसलिए मुझे ही घर का सारा काम देखना पड़ता है।
मेरी शादी को अभी 3 वर्ष हुए हैं लेकिन इन 3 वर्षों में मुझे कुछ पता ही नहीं चला कि कब हमारी शादी को 3 वर्ष बीत गए। मेरे पति को ऑफिस की तरफ से एक घूमने के लिए टूर का पैकेज मिला क्योंकि उन्होंने इस वर्ष अपने ऑफिस में बहुत अच्छा काम किया था इसलिए उन्हें कंपनी ने घूमने के लिए गोवा के टूर के लिए ऑफर दिया। वहां की सारी व्यवस्था ऑफिस की तरफ से ही होनी थी उन्होंने मुझे कहा कि तुम अगले महीने तैयार हो जाना हम लोग अगले महीने घूमने के लिए जाने वाले हैं। मैं इस बात से बहुत खुश थी और जब मुझे मेरे पति ने कहा कि अब तुम घूमने की तैयारी करो तो मैं इस बात से इतना एक्साइटेड हो गई कि मैंने अपनी सहेली आशा को भी बताया। आशा मुझे कहने लगी हम लोग भी घूमने के लिए गोवा का ही प्लान बना रहे थे क्यों ना हम लोग साथ में ही चले। मैंने उससे कहा इससे अच्छी बात क्या हो सकती है मुझे भी कंपनी मिल जाएगी और मेरे पति को भी दिनेश का साथ मिल जाएगा और हम दोनों की मुलाकात भी हो जाएगी। इस बात से मैं और आशा बहुत खुश थे हम दोनों ने सारी तैयारी कर ली थी आशा ने भी मुझे बता दिया था कि दिनेश घूमने के लिए तैयार हो चुके हैं। हम लोगों ने टिकट करवा ली थी उसके बाद हम लोग गोवा चले गए परन्तु हम लोगों की दूसरी ट्रेन थी और वह लोग किसी और ट्रेन से आने वाले थे। पहले हम लोग गोवा पहुंचे उसके बाद वह लोग भी गोवा पहुंच गए थे लेकिन हम लोग एक ही होटल में रुके थे।
जब पहली बार दिनेश और मेरे पति मिले तो उन दोनों को एक दूसरे से मिलकर अच्छा लगा। मेरे पति दिनेश की बहुत तारीफ कर रहे थे और कहने लगे दिनेश बहुत अच्छे हैं उस रात हम लोग घूमने के लिए साथ में ही बीच पर गए। बीच के किनारे छोटे-छोटे होटल थे और वहां पर लाइट लगी हुई थी जिसे देखते ही गोवा का माहौल बन रहा था। कुछ लोग रात को भी पानी में टहल रहे थे और कुछ पानी के किनारे ही चल कर जा रहे थे यह सब देख कर हम लोग आनंदित हो रहे थे। हम लोगों को बहुत अच्छा लग रहा था मैंने आशा से कहा हम लोग भी चलेंगे, आशा भी मेरे साथ पानी में आ गई। हम दोनों साथ ही थे तभी दिनेश और मेरे पति भी आ गए तो हम लोग पानी में ही काफी देर तक रहे और जब हम बाहर आए तो हम पूरी तरीके से भीग चुके थे। धीरे-धीरे हमारे कपड़े भी सूखने लगे थे। मैंने अपने पति से कहा कुछ खा लेते हैं हम लोग वहीं पास के एक छोटे से रेस्टोरेंट में चले गए और वहां पर हमने रात का डिनर किया लेकिन दिनेश की नजर मुझे कुछ अलग ही तरीके से देख रही थी। मैं भी गोवा घूमने के लिए आई थी तो कुछ अलग ही करना चाहती थी लेकिन मैंने दिनेश की प्यासी नजरो को भाप लिया था वह मुझसे क्या चाहता है। अगले दिन मैंने दिनेश के बदन को ऐसे छुआ जैसे कि वह मेरी तरफ खीचा चला आया उस रात दिनेश मेरी तरफ पूरी तरीके से फिसल चुका था अब सिर्फ हम दोनों को मौका चाहिए था। हमे मौका भी मिल चुका था क्योंकि उस रात मेरे पति ने कुछ ज्यादा ही शराब पी ली थी जिस वजह से वह बहुत ज्यादा गहरी नींद में सो चुके थे मैंने दिनेश को अपने कमरे में बुला लिया।
वह जब मेरे पास आया तो कहने लगा शिवानी तुम तो वाकई में लाजवाब हो। मैंने तुम्हारे बदन को ऐसे नहीं देखा था लेकिन जब से तुमने भी मुझे अपनी नशीली आंखों से देखना शुरू किया तो मेरे अंदर भी तुम्हें लेकर सेक्स की भावना पैदा होने लगी। मैंने दिनेश से कहा देखो अभी बात करने का समय नहीं है हम लोग जल्दी से अपनी प्यास को बुझाते हैं और यह कहते ही मुझे दिनेश ने अपनी बाहों में ले लिया। जब उसने मुझे अपनी बाहों में लिया तो वह मेरे होठों को बड़े ही फिल्मी अंदाज में किस कर रहा था वह मुझे जिस प्रकार से किस करता उससे मेरे अंदर एक अलग ही बेचैनी महसूस होती और मुझे ऐसा लगता जैसे कि मेरे अंदर से गर्मी बाहर की तरफ को निकल रही है। हम दोनों ही पूरी तरीके से अपने कंट्रोल से बाहर हो चुके थे मैंने भी सुरेश के लंड को बाहर निकाला और उसे अपने मुंह के अंदर समा लिया। मैंने उसके 9 इंच मोटे लंड को एक ही झटके में अपने मुंह के अंदर ले लिया तो वह कहने लगा तुम बड़ी लाजवाब हो।
मैं उसके लंड को अपने मुंह में ले रही थी जिससे कि मेरे लिए उसका लंड चूसने मे मजा आता। काफी देर तक मैंने ऐसा ही किया जब उसके मोटे लंड से पानी बाहर की तरफ को निकल आया तो मैंने अपने बदन से पूरे कपड़े उतारे और दिनेश ने मेरी योनि पर अपने लंड को सटाते हुए अंदर की तरफ धकेल दिया मेरी योनि की दीवार से उसका लंड टकराने लगा था वह मुझे बड़ी तेजी से धक्के मारने लगा। जिससे कि हम दोनों पसीना पसीना होने लगे थे यह सिलसिला काफी देर तक चलता रहा लेकिन जब मैं झड़ने वाली थी तो मैंने दिनेश को अपने दोनों पैरों के बीच में जकड़ लिया। उसे कहा तुम ऐसे ही मुझे धक्के देते रहो उसने मुझे काफी देर तक चोदा और मेरी योनि के मजे ले लिए लेकिन जब उसने अपने गरम वीर्य को मेरी योनि में प्रवेश करवाया तो मुझे बड़ा सुकून मिला और वह जल्दी से अपने रूम में चला गया।