Antarvasna, kamukta: घर की आर्थिक स्थिति बिल्कुल भी ठीक नहीं थी और मेरे ऊपर ही घर की सारी जिम्मेदारी आन पड़ी थी। पापा ही घर में काम आने वाले थे और उनकी तबीयत ज्यादा खराब रहने लगी थी इसलिए उनके इलाज में काफी ज्यादा खर्चा लग चुका था जिससे कि घर की आर्थिक स्थिति बिल्कुल भी ठीक नहीं थी। मैंने भी अपने कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी और मैं भी अब नौकरी की तलाश में इधर उधर भटकने लगा था। मुझे एक नौकरी मिली उसमें मेरी महीने की तनख्वाह 10000 थी, मैं सोचने लगा कि मैं अब पूरी मेहनत कर के अपने परिवार का भरण पोषण करूंगा। मैंने पूरी मेहनत की लेकिन पापा के देहांत के बाद सब कुछ बिखरता चला गया। पापा के देहांत के बाद मेरे ऊपर ही घर की और भी ज्यादा जिम्मेदारी आन पड़ी थी और मेरी बहन गरिमा की शादी की जिम्मेदारी भी मेरे कंधों पर ही थी। उसकी उम्र भी निकलती जा रही थी वह भी उम्र के 27 वर्ष में पहुंच चुकी थी सब लोगों को इस बात की काफी चिंता सताने लगी थी।
मां भी अक्सर मुझे इस बारे में कहती कि अमित बेटा गरिमा की शादी अब हम लोगों को करवा देनी चाहिए लेकिन मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए परंतु मैंने भी किसी प्रकार से गरिमा की शादी करवा दी। हालांकि उसके लिये मैंने अपने दोस्तों से पैसे लिए थे और मुझे वह पैसे लौटाने भी थे। थोड़े बहुत पैसे मैं लौटाता जा रहा था और अब मैं काफी ज्यादा परेशान भी रहने लगा था मेरी परेशानी का कारण सिर्फ यही था कि मैं अपनी जिंदगी में कुछ अच्छे से कर नहीं पा रहा था। मेरे ऊपर ही घर की सारी जिम्मेदारी थी और अब मेरी छोटी बहन की कॉलेज की पढ़ाई का खर्चा भी मुझे ही देना पड़ रहा था जिससे कि मैं काफी ज्यादा परेशान होने लगा था। मेरी जिंदगी में सिर्फ दुख ही दुख था। एक दिन हमारे ऑफिस में एक लड़की ने ज्वाइन किया उसका नाम भूमिका है भूमिका से पहले तो मेरी इतनी बातचीत नहीं थी पहले सिर्फ हम लोग काम को लेकर ही बातें किया करते थे लेकिन धीरे-धीरे हम लोग एक दूसरे से बात करने लगे।
जब हम दोनों एक दूसरे से बातें करने लगे तो मैं अब भूमिका को समझने लगा था और वह भी मुझे समझने लगी थी। शायद यही वजह थी कि भूमिका को मैं पसंद करने लगा था और भूमिका भी कहीं ना कहीं मुझे पसंद करने लगी थी लेकिन हम दोनों ने अब तक यह बात किसी को भी नहीं बताई थी। ना तो मैंने भूमिका से इस बारे में कुछ कहा और ना हीं भूमिका ने मुझे इस बारे में कुछ कहा था हम दोनों के दिल में ही यह बात थी। मैं चाहता था कि भूमिका को मै इस बारे में बता दूं लेकिन मेरे अंदर इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं भूमिका को इस बारे में बता पाता परंतु मुझे अब हिम्मत तो दिखानी ही थी और मैंने भूमिका से इस बारे में बात की।
एक दिन दोपहर के वक्त हम दोनों लंच कर रहे थे उस दिन मैंने भूमिका को अपने दिल की बात कह दी। जब मैंने भूमिका को अपने दिल की बात कही तो उसे भी इस बात से कोई एतराज नहीं था और उसने तुरंत ही मेरे प्रपोज को स्वीकार कर लिया। हम दोनों एक दूसरे को अच्छे से समझने लगे थे लेकिन मेरे साथ सबसे बड़ी परेशानी यह थी की मैं अपनी आर्थिक परेशानी से जूझ रहा था यह बात भूमिका को अच्छे से मालूम थी। उसके बाद भूमिका ने भी मेरी काफी मदद की और जब भी मुझे पैसों की आवश्यकता होती तो भूमिका मेरी मदद कर दिया करती। मुझे काफी अच्छा लगता जब भूमिका और मैं एक दूसरे के साथ होते हैं और हम दोनों एक दूसरे के साथ समय बिताया करते लेकिन किस्मत को शायद यह मंजूर नहीं था और भूमिका और मुझे अलग होना पड़ रहा था। इसके पीछे की वजह यह थी कि भूमिका के परिवार वाले मुझे कभी पसंद करते ही नहीं थे।
जब मैं भूमिका की फैमिली से मिला तो उन लोगों ने मेरे और भूमिका के रिश्ते को साफ तौर पर ठुकरा दिया और कहा कि तुम भूमिका को खुश नही रख पाओगे। मैं भूमिका की जिंदगी से दूर जाना चाहता था लेकिन मैं भूमिका से दूर नहीं हो पा रहा था मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ऐसी स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए। भूमिका ने भी मुझे समझाने की कोशिश की भूमिका अपने परिवार के खिलाकर जाकर मुझसे शादी नहीं कर सकती थी। मैंने भूमिका को कहा कि भूमिका मैं तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह पाऊंगा।
भूमिका ने मुझे कहा कि अमित मुझे मालूम है तुम मेरे बिना एक पल भी नहीं रह पाओगे और मेरे लिए भी इज बहुत ही मुश्किल की घड़ी है लेकिन तुम तो जानते ही हो कि मेरी फैमिली तुम्हारे साथ कभी भी मेरी शादी नहीं करवायेगी और मेरे पास भी कोई दूसरा रास्ता नहीं है। भूमिका के परिवार वालों ने भूमिका की सगाई करवा दी थी मैं इस बात से और भी ज्यादा परेशान हो चुका था लेकिन भूमिका ने मेरा साथ नहीं छोड़ा था वह हमेशा ही मेरी मदद करती जब भी मुझे उसकी जरूरत होती तो वह हमेशा मेरे साथ खड़ी रहती। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था, ऐसी स्थिति में मैं कुछ भी नहीं पा रहा था और मैं इस बात को अच्छे से समझ चुका था कि भूमिका मेरी जिंदगी से दूर जा चुकी है और भूमिका मेरी जिंदगी में कभी भी लौट कर नहीं आएगी। भूमिका की शादी का कार्ड जब मेरे हाथ में आया तो मैं बहुत ज्यादा टूट चुका था और भूमिका ने उसके बाद ऑफिस भी छोड़ दिया था तो उससे मेरी ज्यादा बात भी नहीं हो पाती थी। मैं बहुत ज्यादा परेशान रहने लगा था मैं अंदर ही अंदर टूटता जा रहा था मेरे पास और कोई भी रास्ता नहीं था मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि मुझे क्या करना चाहिए मैं मानसिक रूप से काफी ज्यादा तनाव में आने लगा था।
भूमिका चाहती थी मैं उससे मिलू। एक दिन भूमिका ने मुझे मिलने के लिए अपने घर पर बुला लिया। मैं भी चोरी छुपे भूमिका को मिलने के लिए उसके घर पर चला गया। मैं भूमिका को देखकर अपने आपको रोक नहीं पाया मैं उससे काफी दिनों बाद मिल रहा था मैंने भूमिका को कहा देखो भूमिका मैं तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह सकता हूं और मैं तुम्हारे बिना अपने आपको अधूरा महसूस कर रहा हूं। भूमिका ने मुझे कहा अमित मुझे मालूम है मैं भी तुम्हारे बिना एक पल नहीं रह सकती हूं लेकिन मेरे पास अब शादी करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। मैंने भूमिका को गले लगा लिया भूमिका मेरी बाहों में थी और मुझे भूमिका को अपनी बाहों में लेकर काफी अच्छा लग रहा था। भूमिका ने मेरे होठों को चूम लिया।
मैंने दरवाजा बंद कर लिया भूमिका मेरे साथ बैठी हुई थी जब वह मेरे साथ बैठी थी तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था मैं उससे बात कर रहा था मेरे अंदर की गर्मी बढ़ रही थी और भूमिका के अंदर से भी गर्मी बाहर निकल रही थी। मैंने भूमिका की जांघ पर अपने हाथ को फेरना शुरू किया तो वह उत्तेजित होने लगी। वह इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी वह मुझे कहने लगी मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है।
मैंने भूमिका को कहा मुझसे भी रहा नहीं जाएगा। मैंने जब अपने मोटे लंड को भूमिका के सामने किया तो उसने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर उसे सकिंग करना शुरू किया और वह बड़े अच्छे से मेरे लंड को चूसने लगी। वह जिस प्रकार से मेरे लंड को चूस रही थी उससे मुझे मज़ा आ रहा था और उसको भी बड़ा मजा आने लगा था। उसने मेरे लंड से पानी बाहर निकाल कर रख दिया था। मैंने भूमिका को कहा मैं तुम्हारे बदन से कपड़े उतारना चाहता हूं। भूमिका ने मुझे कहा आप मेरे बदन से कपड़े उतार लीजिए। मैंने भूमिका के कपड़े उतारकर उसे अपने सामने किया तो उसके बदन को देख कर मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित होने लगा था और मैंने भूमिका को कहा मैं अब तुम्हारी चूत को चाटना चाहता हूं।
मैंने भूमिका की चूत को चाटना शुरू किया भूमिका की चूत पर एक भी बाल नहीं था और उसके गोरे बदन को महसूस करने में मुझे मजा आ रहा था। मैंने जब उसके स्तनों के बीच में अपने लंड को रगड़ना शुरू की है तो मेरा माल बाहर की तरफ आने लगा था और मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था। मेरे अंदर की गर्मी बढ़ रही थी और मैंने भूमिका को कहा अब मैं तुम्हारी योनि में अपने लंड को डालना चाहता हूं। मेरे लंड से पानी बाहर निकल चुका था उसे कुछ देर तक भूमिका ने अपने मुंह में लेकर सकिंग किया जब मेरा लंड पूरी तरीके से गर्म हो चुका था तो मैंने भूमिका की गरमा गरम योनि पर अपने लंड को रगडने की कोशिश की। मैंने उसे कहा तुम अपने पैरों को खोलो उसने अपने पैरों को खोला और जब मैंने उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसाया तो भूमिका जोर से चिल्लाने लगी और मुझे कहने लगी मुझे बड़ा मजा आ रहा है। मैंने अब भूमिका की चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दिया था मेरा लंड भूमिका की योनि में प्रवेश हो चुका था मैं जिस प्रकार से भूमिका की चूत के अंदर अपने लंड को अंदर बाहर करने की कोशिश कर रहा था उससे भूमिका को मजा आने लगा था और मुझे भी बहुत ज्यादा आनंद आ रहा था।
मैं और भूमिका एक दूसरे के साथ जमकर सेक्स संबध बनाए जा रहे थे हम दोनों ने एक दूसरे के साथ 5 मिनट तक शारीरिक संबंध बनाए। अब मैं ज्यादा देर तक अपने आपको रोक नहीं पाया और मैंने भूमिका को कहा मुझे तुम्हारी चूत दोबारा से मारनी है। मैंने भूमिका की चूतडो को अपनी तरफ किया और उसकी चूत में मैंने अपने लंडत्रको घुसा दिया। भूमिका की चूत में मेरा लंड प्रवेश हो चुका था और मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था जब मैं उसे चोद रहा था। मेरे धक्के और भी ज्यादा तेज हो रहे थे भूमिका अपनी चूतडो को मुझसे मिलाती तो मुझे बहुत अच्छा लगता। मैने उसकी चूतड़ों का रंग लाल कर दिया था। जब मुझे लगने लगा शायद अब मैं ज्यादा देर तक अपने आपको रोक नहीं पाऊंगा तो मैंने भूमिका की योनि में अपने माल को गिरा दिया। भूमिका की योनि में जब मेरा माल गिरा तो वह कहने लगी अब मैं चलती हूं। उसने अपने कपड़े पहने और मैं बिस्तर पर लेटा हुआ था उसके बाद मैंने भूमिका का नंबर ले लिया। जब भी मेरा लखनऊ जाना होता तो भूमिका को मैं फोन कर दिया करता हूं वह भी मेरे लंड को अपनी चूत में लेने के लिए तैयार रहती है मुझे बड़ा मजा आता है जब भी मैं उसके साथ शारीरिक संबंध बनाता हूं।