अमर बहुत दिनों से अपनी छोटी बहन कमला को भोगने की ताक में था। अमर एक जवान हट्टा कट्टा युवक था और अपनी पत्नी रेखा और बहन कमला के साथ रहता था। कमला पढ़ाई के लिये शहर आई हुई थी और अपने भैया और भाभी के साथ ही रहती थी.
वह एक कमसिन सुंदर किशोरी थी। जवानी में कदम रखती हुई वह बाला दिखने में साधारण सुंदर तो थी ही पर लड़कपन ने उसके सौन्दर्य को और भी निखार दिया था। उसके उरोज उभरना शुरू हो गये थे और उसके टाप या कुर्ते में से उनका उभार साफ़ दिखता था। उसकी स्कूल की ड्रेस की स्कर्ट के नीचे दिखतीं गोरी गोरी चिकनी टांगें अमर को दीवाना बना देती थी। कमला थी भी बड़ी शोख और चंचल। उसकी हर अदा पर अमर मर मिटता था.
अमर जानता था कि अपनी ही छोटी कुंवारी बहन को भोगने की इच्छा करना ठीक नहीं है पर विवश था। कमला के मादक लड़कपन ने उसे दीवाना बना दिया था। वह उसकी कच्ची जवानी का रस लेने को कब से बेताब था पर ठीक मौका न मिलने से परेशान था। उसे लगने लगा था कि वह अपने आप पर ज्यादा दिन काबू नही रख पायेगा। चाहे जोर जबरदस्ती करनी पड़े, पर कमला को चोदने का वह निश्चय कर चुका था. एक बात और थी। अह अपनी बीवी रेखा से छुपा कर यह काम करना चाहता था क्योंकि वह रेखा का पूरा दीवाना था और उससे दबता था। रेखा जैसी हरामी और चुदैल युवती उसने कभी नहीं देखी थी। बेडरूम में अपने रन्डियों जैसे अन्दाज से शादी के तीन माह के अन्दर ही उसने अपने पति को अपनी चूत और गांड का दीवाना बना लिया था। अमर को डर था कि रेखा को यह बात पता चल गई तो न जाने वह गुस्से में क्या कर बैठे.
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असल में उसका यह डर व्यर्थ था क्योंकि रेखा अपने पति की मनोकामना खूब अच्छे से पहचानती थी। कमला को घूरते हुए अमर के चेहरे पर झलकती प्रखर वासना उसने कब की पहचान ली थी। सच तो यह था कि वह खुद इतनी कामुक थी कि अमर हर रात चोद कर भी उसकी वासना ठीक से तृप्त नहीं कर पाता था। दोपहर को वह बेचैन हो जाती थी और हस्तमैथुन से अपनी आग शांत करती थी। उसने अपने स्कूल के दिनों में अपनी कुछ खास सह्लियों के साथ सम्बम्ध बना लिये थे और उसे इन लेस्बियन रतिक्रीड़ाओं में बड़ा मजा आता था। अपनी मां की उमर की स्कूल प्रिन्सिपल के साथ तो उसके बहुत गहरे काम सम्बन्ध हो गये थे.
शादी के बाद वह और किसी पुरुष से सम्बन्ध नहीं रखना चाहती थी क्योंकि अमर की जवानी और मजबूत लंड उसके पुरुष सुख के लिये पर्याप्त था। वह भूखी थी तो स्त्री सम्बन्ध की। वैसे तो उसे अपनी सास याने अमर की मां भी बहुत अच्छी लगी थी। वह उसके स्कूल प्रिंसीपल जैसी ही दिखती थी। पर सास के साथ कुछ करने की इच्छा उसके मन में ही दबी रह गई। मौका भी नहीं मिला क्योंकि अमर शहर में रहता था और मां गांव में.
अब उसकी इच्छा यही थी कि कोई उसके जैसी चुदैल नारी, छोटी या बड़ी, समलिग सम्भोग के लिये मिल जाये तो मजा आ जाये। पिछले दो माह में वह कमला की कच्ची जवानी की ओर बहुत आकर्षित होने लगी थी। कमला उसे अपने बचपन की प्यारी सहेली अन्जू की याद दिलाती थी। अब रेखा मौका ढूंढ रही थी कि कैसे कमला को अपने चन्गुल में फ़न्साया जाये। अमर के दिल का हाल पहचानने पर उसका यह काम थोड़ा आसान हो गया.
एक दिन उसने जब अमर को स्कूल के ड्रेस को ठीक करती कमला को वासना भरी नजरों से घूरते देखा तो कमला के स्कूल जाने के बाद अमर को ताना मारते हुए बोल पड़ी “क्योंजी, मुझसे मन भर गया क्या जो अब इस कच्ची कली को घूरते रहते हो। और वह भी अपनी सगी छोटी कमसिन बहन को?” अमर के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं कि वह आखिर पकड़ा गया। कुछ न बोल पाया। उसे एक दो कड़वे ताने और मारकर फ़िर रेखा से न रहा गया और अपने पति का चुम्बन लेते हुए वह खिलखिलाकर हंस पड़ी। जब उसने अमर से कहा कि वह भी इस गुड़िया की दीवानी है तो अमर खुशी से उछल पड़ा.
रेखा ने अमर से कहा कि दोपहर को अपनी वासना शांत करने में उसे बड़ी तकलीफ़ होती है। “तुम तो काम पर चले जाते हो और इधर मैं मुठ्ठ मार मार कर परेशान हो जाती हूं। इस बुर की आग शांत ही नहीं होती। तुम ही बताओ मैं क्या करूं.” और उसने अपने बचपन की सारी लेस्बियन कथा अमर को बता दी.
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अमर उसे चूंमते हुए बोला। “पर रानी, दो बार हर रात तुझे चोदता हूं, तेरी गांड भी मारता हूं, बुर चूसता हूं, और मैं क्या करूं.” रेखा उसे दिलासा देते हुए बोली। “तुम तो लाखों में एक जवान हो मेरे राजा। इतना मस्त लंड तो भाग्य से मिलता है। पर मैं ही ज्यादा गरम हूं, हर समय रति करना चाहती हूं। लगता है किसी से चुसवाऊं। तुम रात को खूब चूसते हो और मुझे बहुत मजा आता है। पर किसी स्त्री से चुसवाने की बात ही और है। और मुझे भी किसी की प्यारी रसीली बुर चाटने का मन होता है। कमला पर मेरी नजर बहुत दिनों से है। क्या रसीली छोकरी है, दोपहर को मेरी यह नन्ही ननद मेरी बाहों में आ जाये तो मेरे भाग खुल जायें.”
रेखा ने अमर से कहा को वह कमला पर चढ़ने में अमर की सहायता करेगी। पर इसी शर्त पर कि फ़िर दोपहर को वह कमला के साथ जो चाहे करेगी और अमर कुछ नहीं कहेगा। रोज वह खुद दिन में कमला को जैसे चाहे भोगेगी और रात में दोनो पति – पत्नी मिलकर उस बच्ची के कमसिन शरीर का मन चाहा आनन्द लेंगे. अमर तुरंत मान गया। रेखा और कमला के आपस में सम्भोग की कल्पना से ही उसका खड़ा होने लगा। दोनों सोचने लगे कि कैसे कमला को चोदा जाये। अमर ने कहा कि धीरे धीरे प्यार से उसे फ़ुसलाया जाय। रेखा ने कहा कि उसमें यह खतरा है कि अगर नहीं मानी तो अपनी मां से सारा भाण्डा फ़ोड़ देगी। एक बार कमला के चुद जाने के बाद फ़िर कुछ नहीं कर पायेगी। चाहे यह जबरदस्ती करना पड़े
रेखा ने उसे कहा कि कल वह कमला को स्कूल नहीं जाने देगी। आफिस जाने के पहले वह कमला को किसी बहाने से अमर के कमरे में भेज देगी और खुद दो घन्टे को काम का बहाना करके घर के बाहर चली जायेगी। कमला बेडरूम में चुदाई के चित्रों की किताब देख कर उसे जरूर पढ़ेगी। अमर उसे पकड़ कर उसे डांटने के बहाने से उसे दबोच लेगा और फिर दे घचाघच चोद मारेगा। मन भर उस सुंदर लड़की को ठोकने के बाद वह आफिस निकल जायेगा और फ़िर रेखा आ कर रोती बिलखती कमला को संम्भालने के बहाने खुद उसे दोपहर भर भोग लेगी.
रात को तो मानों चुदाई का स्वर्ग उमड़ पड़ेगा। उसके बाद तो दिन रात उस किशोरी की चुदाई होती रहेगी। सिर्फ़ सुबह स्कूल जाने के समय उसे आराम दिया जायेगा। बाकी समय दिन भर काम क्रीड़ा होगी। उसने यह भी कहा कि शुरू में भले कमला रोये धोये, जल्द ही उसे भी अपने सुंदर भैया भाभी के साथ मजा आने लगेगा और फ़िर वह खुद हर समय चुदवाने को तैयार रहेगी। अमर को भी यह प्लान पसन्द आया। रात बड़ी मुश्किल से निकली क्योंकि रेखा ने उसे उस रात चोदने नहीं दिया, उसके लंड का जोर तेज करने को जान बूझ कर उसे प्यासा रखा। कमला को देख देख कर अमर यही सोच रहा था कि कल जब यह बच्ची बाहों में होगी तब वह क्या करेगा.
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सुबह अमर ने नहा धोकर आफिस में फोन करके बताया कि वह लेट आयेगा। उधर रेखा ने कमला को नीन्द से ही नहीं उठाया और उसके स्कूल का टाइम मिस होने जाने पर उसे कहा कि आज गोल मार दे। कमला खुशी खुशी मान गई। अमर ने एक अश्लील किताब अपने बेडरूम में तकिये के नीचे रख दी। फ़िर बाहर जा कर पेपर पढ़ने लगा। रेखा ने कमला से कहा कि अन्दर जाकर बेडरूम जरा जमा दे क्योंकि वह खुद बाहर जा रही है और दोपहर तक वापस आयेगी.
जब कमला अन्दर चली गई तो रेखा ने अमर से कहा। “डार्लिन्ग, जाओ, मजा करो। रोये चिलाये तो परवाह नहीं करना, मैं दरवाजा लगा दून्गी। पर अपनी बहन को अभी सिर्फ़ चोदना। गांड मत मारना। उसकी गांड बड़ी कोमल और सकरी होगी। इसलिये लंड गांड में घुसते समय वह बहुत रोएगी और चीखेगी। मै भी उसकी गांड चुदने का मजा लेने के लिये और उसे संभालने के लिये वहां रहना चाहती हूं। इसलिये उसकी गांड हम दोनों मिलकर रात को मारेन्गे.”
अमर को आंख मार कर वह दरवाजा बन्द करके चली गई। पांच मिनिट बाद अमर ने चुपचाप जा कर देखा तो प्लान के अनुसार कमला को तकिये के नीचे वह किताब मिलने पर उसे पढ़ने का लोभ वह नहीं सहन कर पाई थी और बिस्तर पर बैठ कर किताब देख रही थी। उन नग्न सम्भोग चित्रों को देख देख कर वह किशोरी अपनी गोरी गोरी टांगें आपस में रगड़ रही थी. उसका चेहरा कामवासना से गुलाबी हो गया था.
मौका देख कर अमर बेडरूम में घुस गौर बोला. “देखू, मेरी प्यारी बहना क्या पढ़ रही है?” कमला सकपका गई और किताब छुपाने लगी. अमर ने छीन कर देखा तो फोटो में एक औरत को तीन तीन जवान पुरुष चूत, गांड और मुंह में चोदते दिखे. अमर ने कमला को एक तमाचा रसीद किया और चिल्लाया “तो तू आज कल ऐसी किताबें पढ़ती है बेशर्म लड़की. तू भी ऐसे ही मरवाना चाहती है? तेरी हिम्मत कैसे हुई यह किताब देखने की? देख आज तेरा क्या हाल करता हूं.”
कमला रोने लगी और बोली कि उसने पहली बार किताब देखी है और वह भी इसलिये कि उसे वह तकिये के नीचे पड़ी मिली थी. अमर एक न माना और जाकर दरवाजा बन्द कर के कमला की ओर बढ़ा. उसकी आंखो में काम वासना की झलक देख कर कमला घबरा कर कमरे में रोती हुई इधर उधर भागने लगी पर अमर ने उसे एक मिनट में धर दबोचा और उसके कपड़े उतारना चालू कर दिये. पहले स्कर्ट खींच कर उतार दी और फिर ब्लाउज. फाड़ कर निकाल दिया. अब लड़की के चिकने गोरे शरीर पर सिर्फ़ एक छोटी सफ़ेद ब्रा और एक पैन्टी बची. वह अभी अभी दो माह पहले ही ब्रेसियर पहनने लगी थी.
उसके अर्धनग्न कोमल कमसिन शरीर को देखकर अमर का लंड अब बुरी तरह तन्ना कर खड़ा हो गया था. उसने अपने कपड़े भी उतार दिये और नंगा हो गया. उसके मस्त मोटे ताजे कस कर खड़े लंड को देख कर कमला के चेहरे पर दो भाव उमड़ पड़े. एक घबराहट का और एक वासना का. वह भी सहेलियों के साथ ऐसी किताबें अक्सर देखती थी. उनमें दिखते मस्त लण्डों को याद करके रात को हस्तमैथुन भी करती थी. कुछ दिनों से बार बार उसके दिमाग में आता था कि उसके हैम्डसम भैया का कैसा होगा. आज सच में उस मस्ताने लौड़े को देखकर उसे डर के साथ एक अजीब सिहरन भी हुई.
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