नमस्कार दोस्तो, मे राजेश फिर एक बार आप के लिये एक रोमांच भरी कहानी लेकरं आया हु. मेरी पिछली कहानी आपणे पढी होगी ही अगर नही पढी हो तो उनको सुरुवात से पढे तभी मेरी आगे की कहाणी का मजा आयेगा पहली कहाणी का क्रम कुछ इस प्रकार:- padhiye chut aur gand chudai wali sexy desi hindi sex kahani jisme mujhe mila chudakkad bhabhi ko chodne ka mauka!
पहली चुदाई का नशा – पार्ट १ & पहली चुदाई का नशा – पार्ट २, अब आपके सामने उसके आगे की कहाणी पेश कर रहा हु.
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मेरा और रेखा सेक्स का चरम सुख पाने के बाद एक दुसरे को चिपके हुवे थे, तभी मुझे अहसास हुवा मेडिकल से जो कंडोम मे बडी मुश्किल से लाया था वह सेक्स के आगोश मे पहन ना ही भूल गया, मे और रेखा कामवासना मे इतने डूब गये थे की मुझे और उसे यह अहसास ही नही रहा की हम सेक्स बिना कंडोम के कर रहे थे. अब मेने रेखा से बोला, अब क्या करे जानू? रेखा भी अब समज गयी थी की हमने जोश मे होश गवा बेठे. वह मुरझाई स्वर मे बोली, जाने दे अब हो गया सो हो गया, अब तू मेरे को मेडिकल से माला-डी गर्भ निरोधक गोली लाके दे. मेने भी हामी भरी और हम लोग थोडे रिलॅक्स हुवे.
कुछ देर बाद हम साथ मे नहा कर फ्रेश हो गये. अब रेखा ने कपडे पेहन कर हम दोनो को नाश्ता लेकरं आई. हम लोगोने नाश्ता किया. उसके बाद मेरा मुड बनने लगा, तो मेने उससे पहल करना चालू की. उसने बी कोई विरोध नही किया , ऊस दिन हमने बिना कंडोम के ही करिब पाच बार सेक्स किया. मे कॉलेज नही गया. अब करीब पाच बजने को गा गये. मेने उससे और पहल करना चाही, मगर अब रेखा ने हार मान ली थी.
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वह मुझे फिर्यादी स्वर मे बोली राज बस ना यार कीतना चोदोगे, गरीब की जान लेंगा क्या, चल बस कर अब उसने मेरे पास आकार मेरे होठं चुमते हुवे कहा ,जा जलदी मेडिकल और गोली लेकरं आ. मुझमे अब जोश आ गया था तो उसको मे मनाने लगा, जानू बस एक बार करेंगे , फिर मे तुरंत जाता हु और लेके आता हु, शायद रेखा बहोत थक गयी थी, पुरी उदासी से बोली नही यार अब फिर कभी करेंगे, मेरी चुत मे अब दर्द हो रहा हे, और मुड भी नही हो रहा. मेने अब जादा जोर डालना उचित नही समजा. मेने उसे बोला ठीक हे तू आराम कर ले तब तक मे जाकर मेडिकल से माला-डी गोली लेकरं आता हु, वह बोली ठीक है जा, पैसे हे ना तेरे पास.
मे दरवाजे की कुंडी खोलते हुवे बोला सुबह के है ना बचे हुवे. कितने की रहेगी? वह बोली अरे चार रुपये या पाच की है…शायद . मेने कहा हा है मेरे पास . मे बाहर आकर मेरी सायकल निकाली. अब मुझे भी थकान महसुस हो रही थी. लेकींन सायकल चलाते समय , मेरे दिमाग मे खाली आज की हुवी चुदाई का मंजर और रेखा का नंगा बदन घुम रहा था. पताही नही चला की मी कब मेडिकल के पास पोहोच गया. मेने सायकल लगाई स्टँड पे और , थोडी देर वही रुक कर मेडिकल का मुआईना करने लगा की कोई आयेगा तो नही ना मे गोली मांगते समय. मेडिकल के काउंटर के सामने कोई नही था.
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तभी मेरे को वो मेडिकल वाली दिखी , नीचे देख कर कुछ हिसाब कर रही थी शायद. मेने सोचा अब रास्ता साफ हे, कोई हे भी नही, तो फटाफट जा कर गोली ले लेते है.
अब मे काउन्ट पर पोहचा. वह मेडिकल वाली अभी भी अपने काम मे ही व्यस्त थी , मेने मेरे जेब से पाच रुपये का सिक्का निकाला और काच के काउंटर पर नॉक कर के आवाज की, ऊस आवाज से उसने मेरी तरफ देखा और वही जगह पर बैठे उसने मुझे एक कातिल मुस्कान देते पुछा “बोलो”. अब उसे जोर से कैसे कहु की मुझे माला डी गोली चाहीये. मे कुछ बोला नही शायद उसको मेरी दिक्कत समज आ गई. उसने अपने हाथ मे का काम छोडकर एक मादक स्टाईल मे, जोर से अपने दोनो हाथ उपर कर आलंस्य देने की मुद्रा मे अपना पेठ आगे और सर पीठ पिछे करके अपने खुर्ची से उठी, और मेरी तरफ अपनी गांड हिलाते आई. बडी मादकता से उसने काउंटर पर हाथ रखे, वह खडी इस तरहसे थी की, उसके दोनो बुब मानो काउंटर पर हो, और थोडा झुक कर मेरे से स्माईल देते बोली, “बोलो अब क्या रह गया”, वह बडी स्माईल करते हुवे ,मुझे छेडनेके हिसाब से पुछा, मेरा ध्यान तो उसके दोनो बुब की दरार पर था, वह समज गयी की मे उसके बुब घुर रहा हु.
अब उसने अपना पल्लू थोडा ठीक किया , थोडी उंची आवाज मे बोली “अरे बोलो”, मेरी तो मानो फट गयी, “जी वो माला डी है?” मेने एकदम धीमी आवाज मे बोला. वह एकदम मेरी तरह देख कर बोली , ‘करंदिया ना कांड’. मे जैसे उसकी बात सुनीही नही ऐसें मुद्रा मे खडा रहा.
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उसने भी अब अंदर जाकर गोली का पाकीट लाकर मेरे सामने रखकर बोली चार रुपये हो गये, पाकीट जेब मे डाला मेने और वह पाच का सिक्का उसे दे दिया. उसने मुझे 1 रुपये वापस देनेके लिये ड्रॉवर खोला और कुछ सेकंद ढुढते हुवे बोली, अरे खुले नही है, मे तुमको एक रुपये का चोको चॉकलेट दु, क्या पता मेरा ध्यान उसके बुब की गोलाई और मादकता मे खो गया था, मे थोडा सवर थे हुवे बोला ‘हा देदो’ जो भी आप को ठीक लगे. उसने मेरी तरफ एक ऐसी मादक भाव से देखा और मुझे एक कॅण्डी दि. ऊस अदा से मेरे को मानो घायल कर दिया.
ऊस मेडिकल वाली के बारे मे बताने का तो मे भूल ही गया. क्या गजब की थी साली,उसका नाम पल्लवी था जो बाद मे उसने मुझे बताया. करिब 21 साल की, इतनी गोरी थी की टच किया तो लाल हो जाये. उसके शरीर की बनावट ऐसी थी मानो स्वर्ग से कोई अप्सरा उतर आई हो.. भरे उरोज , वह सास लेते समय ऐसें हिलते थे किसींको भी पाणी पाणी कर दे. मदमस्त गांड , मानो उसको किसीं कारागीर ने तराश के आकार दिया है. गोल चेहरा, चेहरे पे एक काली लट झुलती थी और उसकी सुंदरता को और बढा देती थी, गुलाबी होट बिना लिपस्टिक के भी चमकते हुवे दीखते है, किसींको भी लगेगा की उसको चुस चुस्के खा जाऊ. मानो भगवान ने उसे पुरी सिद्दत से बनाया था. साडी मे तो उसका रूप मानो चांद को भी लज्जा दे ऐसें था. मेने जब उसे पहली बार देखा था , तब सोचा यार क्या नसिब लेकरं आया है उसका पती.
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अब मेने वहासे जाने का ही उचित समजा. मे मेरी सायकल की तरफ जा ही रहा था, तभी उसने मुझे आवाज दी, “अरे सुनो” मे तो सायकल तक जाने तक उसके बारे मे ही सोच रहा था , तभी उसके आवाज ने मानो मेरा जी घबरा गया. कुछ पल मेरे को ऐसा लगा की मानो मेरे मनमे क्या चल रहा है उसका उसे शक हो गया. मेने पिछे देखा और उससे पुछा , “हा बोलीये” .” इधर आजाओ” उसने सामान्य स्वर मे बोला. मे काउंटर की तरफ गया. और वापीस पुछा ” जी बोलीये” . उसने मेरे तरफ मुसकूराते हुवे कहा , अरे मेरा एक काम हे करोगे प्लिज…. अब मे थोडा सा डर से बाहर आया और बोला , बोलीये ना!!!
उसने मुझसे कहा अरे , वो नीचे के चौहराहे पे वो वडापाव की गाडी लगती है ना वहा से चार वडापाव लाना है. अब कोई इधर रुकने को भी नहीना, नही तो मे जाती थी, मेरे पती भी देर से आते है तब तक गाडी भी बंद हो जाती है, दुसरा कोई नही जाने के लिये और आज बडा मन कर रहा है वडापाव खाने का प्लिज मेरे लिये लाओगे. इतने प्यारे ढंग से बता रही थी की मे ना नही कह पाया. मेने कहा क्यो नही, जरूर लाके देता हु. उसने ड्रॉवर से 50 रुपये निकाल कर मुझे दे दिये. मेने मुस्कुराते हुवे वो लिये और वहा से निकल गया. ऊस वडा पाव वाले के ठेले के पास मे पाच मिनिटं मे पोहच गया. वह वडापाव निकाल ही रहा था. भीड भी बहोत थी. तुरंत मेने चार वडापाव का ऑर्डर दे दिया.
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