प्रज्ञा की गरम सिसकियाँ | Hindi Sex Stories

प्रज्ञा की गरम सिसकियाँ

Antarvasna, desi kahani: मैं ट्रेन से सफर कर रहा था और जब मैं ट्रेन से सफर कर रहा था तो उस वक्त मां का मुझे फोन आया और मां ने मुझे कहा कि बेटा तुम कहां पहुंचे तो मैंने उन्हें बताया कि मैं जयपुर पहुंच चुका हूं। मां ने कहा कि बेटा तुम जब जालंधर पहुंच जाओगे तो मुझे फोन कर देना मैंने मां को कहा कि हां मां मैं आपको बता दूंगा। मां मेरी बहुत ही चिंता करती है और जब मैं जालंधर पहुंचा तो मैंने मां को फोन कर दिया था और उनसे मेरी काफी देर तक बात हुई। मैं अमदाबाद में जॉब करता हूं और मैं अपने परिवार से अलग जालंधर में रहता हूं मुझे वहां पर चार वर्ष हो चुके हैं। मैं अब अपना बिजनेस शुरू करना चाहता हूं मैं जब जालंधर पहुंच गया था तो मैंने मां को फोन कर के यह बात बता दी थी कि मैं जालंधर पहुंच चुका हूं। मां से मेरी काफी देर तक बात हुई और मुझे मां से बात करके अच्छा भी लगा। मैं अपना बिजनेस शुरू करना चाहता था तो जल्द ही मैंने नौकरी छोड़ दी थी और उसके बाद मैंने अपना बिजनेस शुरू कर लिया।
मैं जालंधर में कपड़ों की फैक्ट्री खोलना चाहता था और मैंने जब फैक्ट्री खोली तो उसके बाद मेरा काम भी अच्छे से चलने लगा था और मैं काफी खुश था। मैं चाहता था कि मेरी फैमिली भी मेरे साथ जालंधर में रहे। मैंने जब इस बारे में पापा से बात की तो पापा ने मुझे मना कर दिया और कहने लगे कि नहीं बेटा हम लोग जालंधर में आकर क्या करेंगे। पापा और मम्मी से मेरी बातें हमेशा ही होती रहती थी लेकिन मैं चाहता था कि वह लोग मेरे पास ही रहे परंतु उन लोगों ने कहा कि हम लोग भोपाल में ही रहना चाहते हैं। मैंने भी उसके बाद उन्हें कभी कुछ कहा नहीं लेकिन मुझे कई बार लगता कि मुझे अपनी फैमिली के साथ होना चाहिए या फिर उन लोगों को मेरे साथ होना चाहिए परंतु ऐसा हो नहीं पाया था। अब समय बड़ी तेजी से बढ़ता जा रहा था। एक बार जब एक पार्टी में मैं प्रज्ञा से मिला तो उससे मिलकर मुझे बड़ा अच्छा लगा मैं प्रज्ञा से मिलकर बहुत ही ज्यादा खुश था।
मैं उसके बारे में ज्यादा तो नहीं जानता था क्योंकि वह मुझे एक कॉमन फ्रेंड के माध्यम से मिली थी लेकिन मुझे प्रज्ञा के साथ बातें करना बड़ा ही अच्छा लगता और प्रज्ञा को भी बहुत ज्यादा अच्छा लगता था। जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे के साथ होते हैं और एक दूसरे के साथ में समय बिताते अब कहीं ना कहीं हम दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगे थे। मैं चाहता था कि मैं प्रज्ञा से अपने प्यार का इजहार कर दूँ। मैंने जब प्रज्ञा से अपने प्यार का इजहार किया तो वह भी मना ना कर सकी और फिर हम दोनों एक दूसरे के साथ में रिलेशन में थे। हम दोनों को बहुत ही अच्छा लगता है जब भी हम दोनों साथ में होते हैं और जब भी एक दूसरे के साथ में समय बिताया करते हैं। मैं चाहता था कि मैं प्रज्ञा से शादी कर लूं इसलिए मैंने जब प्रज्ञा को इस बारे में कहा तो प्रज्ञा ने मुझे कहा कि मैं अपनी फैमिली से बात करना चाहती हूं। प्रज्ञा अपने पापा मम्मी से इस बारे में बात करना चाहती थी और प्रज्ञा के परिवार वालों को भी मेरे साथ प्रज्ञा की शादी करवाने से कोई एतराज नहीं था। वह लोग मेरी और प्रज्ञा की शादी करवाने के लिए तैयार हो चुके थे। अब हम दोनों की शादी होने वाली थी और हम दोनों बड़े ही खुश थे।
जब हम दोनों की शादी हुई तो उसके बाद प्रज्ञा मेरे साथ रहने लगी और सब कुछ अच्छे से चलने लगा था। मैं प्रज्ञा के साथ बहुत ज्यादा खुश था लेकिन पापा मम्मी अभी भी भोपाल में ही रहते हैं। एक दिन मैंने पापा से फोन पर कहा कि आप लोग कुछ दिनों के लिए जालंधर आ जाए तो वह लोग कुछ दिनों के लिए जालंधर तो आ गये लेकिन वह हमारे साथ नहीं रहे और फिर वह लोग भोपाल वापस चले गए। प्रज्ञा के साथ मैं जब भी होता तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता और प्रज्ञा को भी बड़ा अच्छा लगता था। जब भी वह मेरे साथ में होती हम दोनों ज्यादा से ज्यादा समय साथ में बिताने की कोशिश किया करते। मुझे जब भी समय मिलता तो मैं प्रज्ञा के साथ जरूर टाइम स्पेंड किया करता था मैं जब भी अपने काम के सिलसिले में कहीं बाहर जाता हूं तो प्रज्ञा अपने पापा मम्मी के पास चली जाया करती थी। एक बार मुझे अपने काम के सिलसिले में बेंगलुरु जाना था वहां पर मुझे जरूरी काम था इसलिए मैं कुछ दिनों के लिए बैंगलुरु जाना चाहता था। मैंने जब प्रज्ञा से इस बारे में बात की तो प्रज्ञा ने मुझे कहा कि आप वहां से वापस कब लौटेंगे। मैंने प्रज्ञा को कहा कि मैं वहां से जल्द ही वापस लौट आऊंगा प्रज्ञा कहने लगी कि ठीक है मैं कल पापा मम्मी के पास चली जाती हूं।
मैंने प्रज्ञा को कहा कि मैं तुम्हें सुबह पापा मम्मी के पास छोड़ देता हूं और उसके बाद मैं वहां से चला जाऊंगा। प्रज्ञा ने कहा ठीक है और उसके अगले दिन मैंने प्रज्ञा को प्रज्ञा के पापा मम्मी के घर छोड़ दिया था। वहां से एयरपोर्ट जाने के बाद जब मैंने वहां से फ्लाइट ली तो मैं सीधे बेंगलुरु पहुंच गया था और बेंगलुरु पहुंचने के बाद मैं जिस होटल में रुका हुआ था वहां पर कुछ देर तक मैंने आराम किया। दो दिन तक मैं बेंगलुरु में रुका और फिर अपना काम निपटा कर मैं वहां से जालंधर वापस लौट आया था। प्रज्ञा भी घर वापस लौट आई थी और उस दिन मैं और प्रज्ञा साथ में समय बिताना चाहते थे इसलिए मैं प्रज्ञा को उस दिन अपने साथ डिनर पर ले गया। हम दोनों ने उस दिन साथ में काफी अच्छा समय बिताया। प्रज्ञा और मैं एक दूसरे से बातें कर रहे थे मेरा मन प्रज्ञा के साथ सेक्स करने का हो रहा था। मैंने प्रज्ञा से कहा काफी दिन हो गए हैं हम लोगों ने सेक्स भी नहीं किया है प्रज्ञा भी यह बात अच्छे से जानती थी हम दोनों ने काफी दिनों से सेक्स नहीं किया है इसलिए वह मेरे लिए तड़प रही थी। मैंने उसे कहा मैं आज तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहता हूं। प्रज्ञा ने मुझे कहा हां क्यों नहीं।
प्रज्ञा ने मेरे सामने ही अपने कपडे उतार दिए थे मुझे प्रज्ञा का पूरा नंगा बदन दिखाई दिया और मैं अपने आप पर काबू नहीं कर पाया था। उसके गोरे बदन को देख मेरा लंड खड़ा हो चुका था। मेरे मन में प्रज्ञा के साथ सेक्स करने के को लेकर चलने लगा था हम दोनो ही साथ मे बैंठ गए प्रज्ञा मेरे पास आई और मेरी गोद मे बैठ गई उसकी नंगी गांड मेरे लंड से टकरा रही थी और मेरा लंड आग उगल रहा था वह तनकर खडा हो गया था। मेरा लंड मेरे पजामे को फाडकर बाहर आने को बेताब था मैं तडप रहा था। मैंने प्रज्ञा की जांघ पर अपने हाथ को रखा उसकी नंगी जांघ पर हाथ रखकर मैंने उसे गरम कर दिया था मेरा लंड खड़ा होने लगा था।
मैं उसकी जांघ को सहलाने लगा था मुझे अच्छा लग रहा था जिस तरीके से मै उसकी जांघ को सहला रहा था और प्रज्ञा की गर्मी को बढाए जा रहा था। मैं प्रज्ञा की गर्मी को पूरी तरीके से बढा चुका था प्रज्ञा पूरी तरीके से गर्म होने लगी थी। उसकी गर्मी इतनी बढ़ चुकी थी वह मेरी बाहों में आ गई। मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया। वह मुझे अपने बदन को सौंप चुकी थी मैं उसके होंठों को चूमने लगा था वह गरम होने लगी थी। मैंने उसके होंठो से खून भी निकाल दिया था मैं उसके स्तनो को दबाए जा रहा था उसका बदन की गर्मी बहुत ज्यादा बढ रही थी। हम दोनों एक दूसरे को किस किए जा रहे थे मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था जिस तरीके से वह मेरी गर्मी को बढा रही थी। हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को बढाते चले गए। जब हम दोनों की गर्मी बढ़ने लगी मैंने अपने लंड को अपने पजामे से बाहर निकालकर प्रज्ञा के सामने किया। वह मेरे लंड को देखकर बोली तुम्हारा लंड तो बहुत ही मोटा है। मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी मैं प्रज्ञा के साथ सेक्स करूगा लेकिन प्रज्ञा के बदन के जलवे देख मेरा लंड पानी छोडने लगा था। वह मेरे लंड को चूसने लगी थी और मेरे लंड से पानी भी निकाल चुकी थी। उसने मेरे लंड को मुंह मे ले लिया था और वह मेरे लंड को चूस रही थी।
प्रज्ञा ने मेरी गर्मी को पूरी तरीके से बढा कर रख दिया था वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी। प्रज्ञा बहुत ज्यादा गर्म होती चली गई। मैंने प्रज्ञा की गुलाबी चूत पर अपनी उंगली को लगाया उसकी योनि से बहुत ज्यादा पानी निकलने लगा था। मैंने उसकी योनि के अंदर अपने लंड को डालने का फैसला कर लिया था। मैंने उसकी चूत को सहलाया तो वह मजे मे आने लगी और मैं भी तडप रहा था। मैंने प्रज्ञा की चूत पर अपने लंड को लगाया वह तड़पने लगी थी मैं उसकी चूत पर लंड को रगड रहा था। मैंने प्रज्ञा की योनि में लंड को घुसाया मेरा मोटा लंड उसकी योनि के अंदर जाते ही वह बहुत जोर से चिल्ला कर मुझे बोली मेरी चूत से खून निकल आया है। मैंने प्रज्ञा की चूत की तरफ देखा उसकी चूत से खून निकल रहा था। प्रज्ञा की चूत से बहुत ही ज्यादा अधिक मात्रा में खून निकलने लगा था मुझे बड़ा मजा आने लगा था जब मैं प्रज्ञा को चोद रहा था।
उसकी गरम सिसकारियां बढती जा रही थी हम दोनो एक दूसरे के साथ अच्छे से सेक्स कर रहे थे। हम दोनों ने एक दूसरे के साथ काफी देर तक सेक्स किया था वह मेरा पूरा साथ दे रही थी। हम दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स का जमकर मजा ले रहे थे हम दोनों की गर्मी बढ़ती ही जा रही थी। मै गर्म होता जा रहा था मेरी गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ रही थी। मैं प्रज्ञा को बड़ी तेज गति से धक्के मारता जा रहा था। मै प्रज्ञा को जिस तेज गति से धक्के मार रहा था उससे मुझे मज़ा आ रहा था और उसे भी बड़ा मजा आ रहा था। प्रज्ञा की चूत की चिकनाई बढती जा रही थी। मैंने और प्रज्ञा ने जमकर सेक्स किया हम दोनों को बडा ही मजा आया जिस तरह से हमने साथ में सेक्स लिया था। जब मेरे वीर्य की पिचकारी प्रज्ञा की चूत मे गिरी तो मुझे मजा आ गया था और प्रज्ञा को भी मजा आ गया था।