तुम मेरी इच्छा पूरी करोगे?
Antarvasna, hindi sex story आकांक्षा का परिवार और हमारा परिवार एक दूसरे के पड़ोस में रहता है मैं आकांक्षा से पहली बार तब मिला था जब मैं कक्षा 6 में पढ़ा करता था। आकांक्षा ने भी मेरे साथ ही पढ़ाई की और अब वह शादी करने के बारे में सोचने लगी थी लेकिन उसे कोई अच्छा पाटनर ही नहीं मिल पा रहा था। काफी समय पहले उसका एक बॉयफ्रेंड भी था लेकिन उसके साथ उसका रिलेशन ज्यादा समय तक नहीं चल पाया और वह उदास रहने लगी थी उसके बाद उसने अपने काम में अपना पूरा मन लगाना शुरू किया और वह अच्छे से अपना काम करने लगी। सब कुछ बड़े ही अच्छे तरीके से चल रहा था आकांक्षा का काम बहुत अच्छे से चल रहा था और वह अब अच्छे पैसे भी कमाने लगी थी लेकिन उसकी जिंदगी में कमी थी तो सिर्फ एक पाटनर की। मैं आकांक्षा को बहुत ही अच्छी तरीके से जानता हूं हमेशा ही मैंने उसका साथ दिया है वह मुझसे बढ़कर किसी और को नहीं मानती लेकिन ना जाने आकांक्षा के परिवार को किसकी नजर लगी की उसके पिताजी का देहांत हो गया।
आकांक्षा की भाभी का नेचर भी कुछ ठीक नहीं था वह घर में आकांक्षा की मम्मी के साथ बहुत झगड़ा करती रहती थी जिस वजह से उन लोगों के घर में काफी तनाव रहता था। इस बात से परेशान होकर आकांक्षा के भैया ने फैसला किया कि वह अब कहीं और ही रहेंगे और उन्होंने भी अपना घर छोड़ दिया और वह अपनी पत्नी को लेकर दूसरी जगह रहने के लिए चले गए। इस बात से आकांक्षा की मां भी बहुत परेशान होने लगी और उनकी तबीयत भी कुछ ठीक नहीं रहती थी जिससे की आकांशा बहुत परेशान रहती थी। मैंने उसे कई बार समझाने की कोशिश की लेकिन वह कहती पवन तुम्हें क्या बताऊं मैं तो बहुत ज्यादा परेशान रहने लगी हूं मुझे कुछ अच्छा होता हुआ नहीं दिखाई दे रहा तुम ही बताओ मुझे क्या करना चाहिए। मैंने आकांक्षा से कहा तुम शादी कर लो और अपनी मम्मी को अपने साथ ही रखो लेकिन आकांक्षा के लिए यह बहुत मुश्किल होने वाला था। उसे शायद ही ऐसा कोई लड़का मिलता जो कि उसके साथ शादी करने के बाद उसी के घर पर रहता ऐसा संभव नहीं था और ना ही कोई ऐसा लड़का मिल रहा था। शायद आकांक्षा की किस्मत सही थी या फिर उसे आकांक्षा का नसीब कहे कि उसे एक लड़का मिल ही गया और उन दोनों ने काफी समय तक एक दूसरे को डेट किया।
उसके बाद उन्होंने शादी करने का फैसला कर लिया उस लड़के का नाम रमन है। रमन और आकांक्षा के बीच काफी प्यार था मुझे तो उन दोनों की जोड़ी बहुत अच्छी लगती थी कुछ ही समय बाद आकांक्षा ने रमन से शादी करने के बारे में सोच लिया और उन दोनों की शादी हो गई। शादी मे आकांक्षा ने हीं अपना पूरा खर्चा उठाया था और उसने कोई भी कमी नहीं रहने दी सब कुछ बड़े ही धूमधाम से हुआ। रमन और आकांक्षा बहुत खुश थे वह लोग अपनी शादी के बाद घूमने के लिए भी गए थे सब कुछ बहुत ही अच्छे से चल रहा था। आकांक्षा की मम्मी भी खुश थी लेकिन रमन की नीयत कुछ ठीक नहीं थी इस बात का अंदाजा काफी समय बाद लगा और शादी के बाद आकांक्षा के जीवन में जैसे दुखों का पहाड़ दोबारा से टूट चुका था। आकांशा बहुत परेशान रहने लगी थी उसकी परेशानी का कारण अब रमन बन चुका था क्योंकि रमन उसके प्रति बिल्कुल भी वफादार नहीं था वह किसी और ही लड़की के साथ अपना रिलेशन चला रहा था। इस बात से आकांक्षा पूरी तरीके से टूट चुकी थी जब आकांक्षा ने मुझे इस बारे में बताया तो मैं यह सुनकर शॉक्ड हो गया। मैंने आकांक्षा से कहा रमन तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं था और वह तुमसे बहुत प्यार भी करता था लेकिन उसने किसी और लड़की के साथ ही अपना रिलेशन चलाने के बारे में कैसे सोच लिया। आकांक्षा मुझे कहने लगी कुछ समय पहले तक तो सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन एक दिन जब हम दोनों साथ में सोए हुए थे तो उस दिन बार बार रमन के फोन पर कॉल आ रही थी लेकिन रमन फोन उठा ही नहीं रहा था उसके बाद रमन की आंख लग गई। जब रमन की आंख लगी तो उसके कॉल को मैंने रिसीव किया और सामने से किसी लड़की की आवाज आ रही थी मैंने कुछ देर तक कुछ भी नहीं कहा लेकिन मैं समझ गई कि जरूर कुछ गड़बड़ है।
उसके बाद तो रमन और मेरे बीच में उस बात को लेकर काफी झगड़े भी हुए लेकिन रमन समझने वाला नहीं है। मैंने रमन से कहा यदि तुम उस लड़की से प्यार करते हो तो हम दोनों तलाक ले लेते हैं हम दोनों का साथ में रहने का कोई मतलब ही नहीं है लेकिन रमन मुझे भी छोड़ने को तैयार नहीं है। शायद रमन की आकांक्षा को ना छोड़ने की यही वजह थी कि आकांक्षा उसके लिए सब कुछ किया करती थी क्योंकि आकांक्षा अपनी खुद की कंपनी चलाती है और उसे पैसे की कोई दिक्कत नहीं है लेकिन रमन कुछ करता ही नहीं है। पहले वह जॉब भी करता था लेकिन शादी के बाद उसने जॉब भी छोड़ दी और अब वह पूरी तरीके से आकांशा पर ही निर्भर था इसलिए वह आकांक्षा को नहीं छोड़ना चाहता था। वह दूसरी लड़की से भी प्यार करता था उसने ना जाने उस लड़की को भी क्या क्या सपने दिखाए थे। मैंने आकांक्षा से कहां तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं इस बारे में पता लगा कर रहूंगा कि आखिरकार वह चाहता क्या है, रमन कभी कबार मेरे साथ बैठ जाया करता था। एक दिन मैं और रमन साथ में बैठे हुए थे जब रमन मेरे साथ बैठा था तो मैंने रमन से कहा और रमन आजकल क्या चल रहा है रमन ने कहा सब कुछ ठीक है और आप बताइए आप कैसे हैं। मैंने रमन से कहा मैं तो ठीक हूं मैंने रमन से कहा आकांक्षा कह रही थी कि वह तुम्हारे लिए एक फ्लैट खरीदने वाली है। रमन पूरी तरीके से चौक गया और वह कहने लगा क्या आप सही कह रहे हैं मुझे तो इस बारे में कुछ मालूम ही नहीं था।
मैंने रमन से कहा हां मुझे आकांक्षा ने कल ही बताया था कि वह तुम्हारे लिए एक फ्लैट खरीद रही है और उसने फ्लैट का बुकिंग अमाउंट भी दे दिया है। रमन के दिल में आकांक्षा के लिए प्यार नहीं था वह सिर्फ उसका इस्तेमाल कर रहा था वह उसे बिल्कुल भी नहीं चाहता था। आकांक्षा को मुझ पर बहुत भरोसा था रमन और मैं बात करने लगे मैंने रमन से कहा क्या तुम दोनों के बीच में झगड़े भी हुये थे। रमन कहने लगा नहीं हमारे बीच में झगड़े नहीं हुए बस कुछ दिनों पहले मेरे नंबर पर एक फोन आ रहा था उसकी वजह से हम दोनों के बीच में थोड़ी बहुत मिसअंडरस्टैंडिंग हो गयी थी लेकिन अब सब ठीक है। हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं और मैं आकांक्षा का बहुत ध्यान रखता हूं वह भी मुझसे बहुत प्यार करती है। मुझे यह तो पता चल चुका था कि रमन सिर्फ उसके पैसों से प्यार करता है इससे ज्यादा उसके दिल में आकांक्षा के लिए कुछ भी नहीं है। उसे तो सब कुछ बैठे-बिठाए ही मिल रहा था जिसकी वजह से वह अब कुछ करना ही नहीं चाहता था। वह पूरी तरीके से आकांशा पर ही निर्भर हो चुका था मैं यह बिल्कुल भी नहीं चाहता था कि आकांक्षा अब उसका और खर्चा उठाया। मैंने आकांक्षा को इस बारे में समझाया और उसे कहा कि रमन तुम्हारा कुछ ज्यादा ही फायदा उठा रहा है तुम्हें इस बारे में सोचना चाहिए तो आकांक्षा कहने लगी हां पवन तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो मुझे भी लगने लगा है कि अब कुछ ज्यादा ही मेरा फायदा उठा रहा है इसलिए मैंने उससे अब डिवोर्स लेने की सोच ली है।
आकांक्षा हालांकि इस बात से बहुत परेशानी थी लेकिन उसके जीवन में बहुत दुख था मैं और आकांक्षा एक दिन साथ में बैठे थे तो आकांक्षा मेरे गले मिली। वह इतना ज्यादा परेशान थी की वह मुझे कहने लगी पवन आज मैं बहुत दुखी हूं। मैंने उससे कहा कोई बात नहीं सब ठीक हो जाएगा, रमन भी उससे अलग हो चुका था वह पूरी तरीके से दुखी हो चुकी थी लेकिन फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी। वह मुझे कहने लगी मैंने अब रमन के बारे में सोचना छोड़ दिया है मैंने आकांक्षा का बहुत साथ दिया और उसके बाद उसकी कुछ इच्छाएं थी जो कि सिर्फ मैं ही पूरा कर सकता था। एक दिन आंकाक्षा ने मुझसे अपनी इच्छा पूरी करने की बात कही तो मैंने उसे कहा भला मैं तुम्हारे साथ ऐसा कैसे कर सकता हूं तो वह कहने लगी पवन मुझे आज तुम्हारी जरूरत है इसलिए तुम्हे ही मेरी इच्छा पूरी करनी होगी। उसने मेरे लंड को बाहर निकाला और उसे अपने मुंह में लेकर चूसने लगी वह मेरे लंड को अच्छे से अपने मुंह में लेकर सकिंग करती जाती काफी देर तक उसने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर सकिंग किया उसके बाद जब मेरा लंड पूरी तरीके से खड़ा होकर तन गया तो उसने अपने कपड़े उतारने शुरू किए।
मैंने पहली बार आकांक्षा को नग्न अवस्था में देखा उसके बदन का हर हिस्सा गजब का था वह किसी हुस्न की परी से कम नहीं लग रही थी। मैंने अपने लंड को उसकी योनि पर सटा दिया जैसे ही मैंने अपने लंड को उसकी योनि के अंदर धक्के देते हुए घुसाया तो वह चिल्लाने लगी और कहने लगी मुझे बड़ा दर्द हो रहा है लेकिन मैं उसे बड़ी तेज गति से धक्के देता रहता। मुझे उसे चोदने में बड़ा आनंद आ रहा था काफी देर तक मैंने अपने लंड को उसकी योनि के अंदर बाहर किया जिससे कि उसकी इच्छा कहीं ना कहीं पूरी हो रही थी वह भी मुझसे अपनी चूतडो को मिलाने लगी। जब वह मुझसे अपनी चूतडो का मिलाती तो मुझे बड़ा मजा आता और मैं उसे बहुत तेज गति से धक्के मारता जिससे कि उसका पूरा शरीर हिल जाता लेकिन उसकी चूत से जो गरम पानी निकल रहा था उससे मैं ज्यादा समय तक बर्दाश्त नहीं कर पाया। वह भी पूरी तरीके से संतुष्ट हो चुकी थी मैंने अपने वीर्य को उसकी योनि में गिरा दिया। जब मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो उसकी चूत से मेरा वीर्य टपक रहा था। वह इतनी खुश हुई कि उसने मुझे गले लगा कर कहा तुम ही मेरे सच्चे दोस्त हो तुमने जिंदगी भर मेरा साथ दिया है।